गैर-मुस्लिमों को इस्लाम में बुलाओ, न माने तो बिना दया के मार डालो- क़तर यूनिवर्सिटी के 'प्रोफेसर'
गैर-मुस्लिमों को इस्लाम में बुलाओ, न माने तो बिना दया के मार डालो- क़तर यूनिवर्सिटी के 'प्रोफेसर'
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दोहा: कतर यूनिवर्सिटी में इस्लामी स्टडीज की शिक्षा देने वाले प्रोफेसर डॉ शफी अल हाजरी ने अल-रय्यन टीवी पर 25 नवंबर को एक ऐसा बयान दिया है, जो मुस्लिमों और अन्य धर्मों के बीच खाई पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा है कि इस्लाम को फैलाने का तीसरा और अंतिम कदम सिर्फ जंग है। डॉ अल हाजरी ने ऑन TV कहा है कि, पहले लोगों को इस्लाम में दाखिल होने के लिए बुलाओ। यदि वो न आएँ तो उन्हें जिंदा रहने के लिए जजिया (एक प्रकार का टैक्स) देने के लिए कहो। जब, वो इसके बाद भी इंकार करें, तो उन पर बिना कोई दया दिखाए उन्हें मार डालो।

 

रिपोर्ट के मुताबिक, पेशे से प्रोफेसर अल हाजरी ने कहा है कि, 'जंग, दावत का तीसरा चरण है। पहले हम लोगों को अल्लाह के पास बुलाते हैं। यदि वो आ जाते हैं, तो उनके पास वही अधिकार होते हैं, जो हमारे पास हैं। पर यदि वो नहीं आते, तो उन्हें जजिया देना होगा। जजिया इसलिए देना होगा, ताकि वो दूसरों से सुरक्षित रह सकें। तीसरा चरण होता है कि यदि वो लोग जजिया देने से भी इंकार करें, तो उनके साथ जंग की जाए।' बता दें कि 'जजिया' एक तरह का टैक्स होता है, जिसे गैर मुस्लिमों से जिन्दा रहने के नाम पर माँगा जाता है। इसी जजिया के नाम पर मुगलों ने हिंदुस्तान में भी लंबे समय तक हिंदुओं का शोषण किया था। जजिया न दे सकने पर मुगल शासकों को ये अधिकार था कि वह गैर मुस्लिमों की संपत्ति को अयोग्य घोषित कर दें। वहीं, गैर-मुस्लिमों के पास इस्लाम कबूलने या जान देने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं था।

आज भी जजिया लेने की बात ऐसे समय में सामने आई है, जब धर्मांतरण की खबरों को लेकर क़तर विवादों में घिरा हुआ है। क़तर में जारी फीफा वर्ल्ड कप में देखने को मिल रहा है कि कैसे, तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर गैर-मुस्लिमों को इस्लाम में दाखिल किया जा रहा है। इसके लिए वहां बहुभाषी पुरुष और महिलाएँ गैर-मुस्लिमों को इस्लाम और सहिष्णुता का पाठ पढ़ा रहे हैं। यात्रियों को ऐसे बोर्ड दिखाए जा रहे हैं, 30 से अधिक भाषाओं में जिनमें इस्लाम के संबंध में लिखा है। इसके अलावा इस्लाम से संबंधित पुस्तकें भी लोगों में बाँटी जा रही हैं।

यही नहीं, कतर में धर्मान्तरण को बढ़ावा देने के किस कदर कोशिशें की जा रहीं हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने फीफा वर्ल्ड कप देखने आए गैर-मुस्लिमों को इस्लाम का पाठ पढ़वाने के लिए जाकिर नाइक को आमंत्रित किया था। हालाँकि भारत के विरोध के बाद बताया गया कि उन्होंने फीफा के लिए जाकिर नाइक को कोई भी आमंत्रण नहीं भेजा था। लेकिन फिर सवाल यह उठता है कि, यदि निमंत्रण नहीं भेजा गया था, तो फिर भारत का भगोड़ा अपराधी जाकिर नाइक, क़तर में हो रहे FIFA वर्ल्ड कप के मंच पर कैसे पहुंचा ?

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