कैसे बना बिंदी यादव एक छूटभैया अपराधी से करोड़ो का मालिक ?
कैसे बना बिंदी यादव एक छूटभैया अपराधी से करोड़ो का मालिक ?
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गया : गया रोडरेज केस में फंसा रॉकी यादव जदयू विधान पार्षद मनोरमा देवी और गया के बाहुबली बिंदी यादव का बेटा है। पास न देने पर रॉकी ने आदित्य सचदेवा नाम के 19 वर्षीय युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बिंदी यादव करोड़ों की संपत्ति के मालिक होने के साथ ही राजनीतिक रसूखदार आदमी भी है।

बिंदी यादव को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और मनोरमा देवी के खिलाफ पुलिस ने वारंट निकाल दिया है। एक समय में बिंदी एक छूटभैया अपराधी था, लेकिन उसकी इच्छा जुर्म की दुनिया में बड़ा नाम बनाने की थी। उसे साइकिल चुराने के आरोप में पुलिस ने पकड़ा था।

इसके लिए बिंदी ने 1990 के दशक में दूसरे गुंडे बच्चुआ से हाथ मिलाया और तीन साल तक गया शहर में कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया। गया के कई प्रमुख संपत्तियों को बिंदी ने जबरन हथिया लिया। उस दौरान सत्ता लालू प्रसाद यादव के हाथों में थी।

इन लोगों के क्रूर तरीकों से सरकार को कड़े मिजाज वाले जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक को गया शहर में पदस्थापित करना पड़ा। बिंदी और बच्चुआ से निपटने के लिए प्रशासन को अपराध नियंत्रण के कड़े कानून लागू करने पड़े। इसके बाद बिंदी को आभास हुआ कि वो बिना राजनीतिक सपोर्ट के अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता, तो उसने 2001 में जिला परिषद् का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया।

2006 तक इस पद पर बने रहने के बाद उसने 2005 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और वो हार गया। बिंदी यादव राज्य में 2010 का विधानसभा चुनाव राजद के टिकट पर लड़ा और नामांकन के समय हलफनामा देकर अपने उपर 18 आपराधिक मामले होने की घोषणा की।

लालू यादव ने उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि को नजरअंदाज किया, लेकिन यह काम नहीं आया। जब नीतीश की सरकार बनी तो बिंदी ने अपना पाला बदल दिया औऱ जदयू में शामिल हो गया। लेकिन नीतीश कुमार एक अपराधी के समर्थन के पक्ष में नहीं थे।

2011 में बिंदी को गिरफ्तार किया गया, तब उसके पास से एके-47 राइफल औऱ चार कारतूस बरामद हुए। कहा जाता है कि बिंदी के नक्सलियों से भी बेहतर संबंध है। धीरे-धीरे वो एक अपराधी से धनी व्यक्ति बन गया। आज भी उस पर अपहरण और हत्या के 11 मामले चल रहे है।

आज बिंदी के पास गया, बोधगया, दिल्ली और उसके आसपास के इलाके में मॉल, होटलें और 15 पेट्रोल पंप हैं। सड़क निर्माण और शराब के काराबार तक विभिन्न क्षेत्रों से उसके व्यापारिक हित जुड़े हुए हैं, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि उसका बेटा रॉकी 1.5 करोड़ रुपए कीमत की एसयूवी चला रहा था और .32 बोर की पिस्तौल अपनी जेब में रखता था।

जब बिंदी का राजनीतिक दाव-पेंच काम नहीं आया, तो 2015 में उसने अपनी पत्नी विधान पार्षद बना दिया।

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