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इस्लामाबाद : इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक आदेश जारी किया जिसमे 26/11 मुंबई हमले के केस की सुनवाई दो महीने के अंदर ख़त्म करने के बारे में कहा गया है। साथ में कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर सुनवाई दो माह में नहीं होती है, लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी की जमानत खारिज करने की पाकिस्तान सरकार की अपील को स्वीकार कर लिया जाएगा।
55 साल के लखवी समेत छह अन्य आतंकियों-अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनिस अंजुम पर भी मुंबई हमलों को अंजाम देने का आरोप है।
2008 में किये गए इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे। जस्टिस नूरउल हक कुरैशी की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने इस्लामाबाद के एंटी टेररिज्म कोर्ट को 2009 से लखवी समेत अन्य छह मामलों की सुनवाई को दो महीने के अंदर खत्म करने का अल्टीमेटम दिया है।
बता दें कि यह पीठ पाकिस्तान सरकारी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें लखवी की जमानत रद्द करने की अपील की गई थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकील की दलील सुनने के बाद कहा, "कोर्ट आपको दो महीने के भीतर ट्रायल खत्म करने का समय दे रहा है।" अभियोजन प्रमुख चौधरी अजहर ने पीटीआई को बताया कि सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर लखवी की जमानत रद्द कर दी जाएगी।
अगर उसके वकील की ओर से किसी भी तरह की देरी होती है। गौरतलब है कि लाहौर हाईकोर्ट इससे पहले लखवी को हिरासत में रखने के आदेश रद्द कर जमानत दे चुका है। तब हाईकोर्ट के जज ने कहा था कि पाकिस्तान सरकार उसके खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में नाकाम रही थी। कोर्ट के इस फैसले के बाद भारत समेत दुनिया के कई देशों में इसकी निंदा हुई थी।