तिब्बत के लारूंग वैली में रहने वाले बौद्ध भिक्षु और नन एक अजीबो गरीब प्रथा निभाते हैं. जिसके अंतर्गत यह लोग किसी के मरने के बाद उसके शव को खुद काटकर गिद्धों को खिलाते हैं. इस प्रथा के पीछे भिक्षुओ की मान्यता है की इससे मृतक को जन्नत मिलती है.
मान्यता के अनुसार, इस प्रथा को नहीं निभाने पर मृत शरीर की आत्मा को शांति नहीं मिलती है. इसके साथ ही उसकी आत्मा को जन्नत भी नसीब नहीं होती है. इस प्रथा को निभाते समय कोई भी पर्यटक या अंजान व्यक्ति तिब्बितयों के पास नहीं जा सकता है.
चीनी सरकार तिब्बत, किंगघई और मंगोलिया में बहुत सालों से चली आ रही इस प्रथा को अब लारूंग वैली में बने हजारों घरों को गिरवाने की तैयारी कर रही है. गौरतलब है की सरकार यहां रहने वाले चालीस हजार से भी ज्यादा बौद्ध भिक्षुओं और ननों को पांच हजार तक सीमित करना चाह रही है.