नई दिल्ली. हालिया दिनों में कई फतवे निकाले गए हैं जिनमें महिलाओं का डिजाइनर बुर्का पहनना हराम बताया गया है, ऐसे ही एक अन्य फतवे में शादी में डीजे चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और अन्य फतवे में शराबियों का नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ने से इंकार कर दिया गया है. पर हैरत है कि एक फतवे ने दो संगठनों के बीच टकराव पैदा कर दिया है.
दरअसल हैदराबाद स्थित जामिया निजामिया के मुफ्ती मोहम्मद अजीमुद्दीन ने फतवा जारी कर कहा कि झींगे, केकड़े और चिंराट को खाना इस्लाम में हराम है. उन्होने कहा कि चूंकि ये तीनों मछलियों में शामिल नहीं है, इसलिए इस्लाम में तीनों को खाना हराम है. फतवे में कहा गया है कि “झींगा संधिपाद प्राणी है और यह यह मकरूह तरहीम की श्रेणी में आता है, जो मुसलमानों के लिए खाना हराम है. मुस्लिमों को सलाह दी जाती है वह यह सब ना खाएं.”
हालाँकि फतवे के खिलाफ कई मुफ्ती खुलकर सामने आ गए हैं. जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के मुफ्ती मोहम्मद अबरार ने झींगे को हराम बताने वाले जामिया निजामिया के फतवे का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि, “झींगे के अंदर खून नहीं होता. यह मछली प्रजाति की तरह है और इसे खाने में कोई हर्ज नहीं है.” उधर उलेमा-ए-देवबंद ने भी इनका समर्थन करते हुए कहा कि वे भी झींगा खाने को हराम नहीं मानते.
शराबियों का नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ने पर रोक
निकाह में डीजे बजाने पर प्रतिबंध का फतवा
चुस्त लिबास या डिजाइनर बुर्का पहनना नाजायज़