जीवन में हो जाऐं गलतियां तो ऐसे सुधारें
जीवन में हो जाऐं गलतियां तो ऐसे सुधारें
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व्यक्ति अक्सर जीवन में गलतियां कर देता है। कुछ गलतियां कार्य स्थल में होती हैं, कुछ गलतियां जीवन में होती हैं लेकिन गलती करने के बाद जब उसे गलतियों का अहसास होता है तो उसे अपराध बोध होने लगता है। वह पछताता है। वह अपनी गलतियों को सुधारना चाहता है या फिर उन गलतियों से मुक्त होना चाहता है। जब वह अपनी गलतियों से दूर हो जाता है। उन गलतियों को समापत कर देता है तो वह इससे दूर हो जाता है। इस दौरान वह गलतियों पर विचार करता है।

यदि वास्तविकता में हम अपनी गलतियों से मुक्त होना चाहते हैं। उन्हें सुधारना चाहते हैं तो हमें आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर की कुछ बातों पर ध्यान देना होगा। गुरूदेव श्री श्री रविशंकर ने कुछ ऐसे उपाय बताए हैं जिससे मानव अपनी गलतियों को सुधारकर उनसे मुक्त हो सकता है। 

आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने इस बात का उल्लेख किया है कि जब व्यक्ति अपनी गलतियों के कारण खुद को अपराधी महसूस करता है। वह अनुभव करता है कि उसे पछतावा हो रहा है तो वह समय नष्ट न करते हुए ईश्वर की ओर जाता है। यदि सच्चे हृदय से वह ईश्वर की शरण जाता है तो उसकी भूल समाप्त हो जाती है। यही नहीं व्यक्ति को वर्तमान क्षण अर्थात जब उसने गलती की थी उससे बाहर उस पल में विचार करना चाहिए जो समय वह जी रहा है।

उसके जीवन में जो क्षण चल रहा है वही वर्तमान क्षण है और यही क्षण सत्य भी है। अपनी गलतियों पर उसे अधिक विचार नहीं करना चाहिए। उसे अपराधबोध तो होता है लेकिन यदि उसका प्रतिकार किया जाए तो वह बना रहता है। इस अपराध के लिए केवल 10 मिनट, 25 मिनट का विचार ही उपयुक्त है।

इससे ज़्यादा उस अपराध के बारे में नहीं सोचना चाहिए। गुरूदेव श्री श्री रविशंकर जी का मत है कि अपने उपर दोष मत लगाओ और ना ही अन्य किसी को दोष दो। हां किसी से गलती हो गई हो तो उसे भूल के बारे में नहीं बताना चाहिए उसे अपराधी नहीं ठहराया जाना चाहिए। हमें गलती करने वाले व्यक्ति को बड़ी सोच के साथ देखना होगा। गुरूदेव श्री श्री रविशंकर यहां कहते हैं कि हर अपराधी में ही पीडि़त छुपा है यदि वह अपराधी है तो वह शिकार भी है। हो सकता है कि अज्ञान, अशिक्षा और तनाव के कारण उसने गलती की हो।

श्रेष्ठ व्यक्ति सभी की प्रशंसा करता है। वह बुद्धिमान होता है। मगर मूर्ख दूसरों की भूलों पर खुश होता है वह सारे संसार के सामने उसकी सगर्व घोषणा भी करता है। जब व्यक्ति अपने अंदर आत्ममंथन करता है और वह आत्मचिंतन करता है तो गलतियों से मुक्त हो जाता है। उसे उस गलती का अहसास हो जाता है। व्यक्ति अपनी गलती को दूर कर उससे मुक्त हो जाता है। वर्तमान क्षण में वह किस तरह से जी सकता है यह बात उसकी उस गलती को समाप्त कर देती है। 

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