इंट्रोवर्ट होना, कितना सही

इंट्रोवर्ट होना, कितना सही
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पुरानी कहावत है.... “सौ बला को चुप्पी टाले”, लेकिन कई बार आपकी खामोशी भी आपको गंभीररूप से बीमार कर सकती है। दिल में छुपी आकांक्षाओं व इच्छाओं को किसी खास के समक्ष भी ज़ाहिर न कर पाना ही इंट्रोवर्ट यानि अंतर्मुखी स्वभाव कहलाता है। इस स्वभाव से केवल आप ही नहीं बल्कि आपकी व्यक्तिगत व पेशेवर जिंदगी को भी आहत पहुंचाती है।

पड़ता है गलत असर- इस तरह के व्यवहार वाले लोगों के लिए देखने वालों के पास केवल दो ही नज़रिए होते हैं।एक, या तो वो उन्हें दूसरों को कुछ न समझने वाला घमंडी समझते हैं या फिर उन्हें कमजोर व डरा हुआ समझते हैं। यानि हर लिहाज से इंट्रोवर्ट व्यक्ति का प्रभाव सामने वाले व्यक्ति पर गलत ही पड़ता है।

फटकर बाहर आना- एक रबड़बैंड को, उसकी सीमा सें यदि ज्यादा खींच दिया जाए तो वो एक दिन टूट ही जाता है। कुछ ऐसा ही अंतर्मुखी स्वभाव के व्यक्तियों के साथ भी होता है। अपनी भावनाओं को प्रस्तुत न पाने के कारण उनकी मुराद सामने वाला पूरा नहीं कर पाता है और एक दिन गम का गुब्बारा दिल से फटकर बाहर निकल ही जाता है, जो सामने वाले के लिए भी बेहद अजीब होता है। ये स्थिति ज्यादातर पति-पत्नी के रिश्ते में देखने को मिलती है जिसके चलते परिवार में क्लेश भी रहता है। वहीं दूसरी तरफ पेशेवर जिंदगी मेंटैलेंट होने के बावजूद भी इंट्रोवर्ट होने के कारण आप खुद को कदम-कदम पर साबित नहीं कर पाते हैं। कंपनियां भी ये सोचकर कि “जो खुद को नहीं बेच पाया, वो प्रोडक्ट को कैसे बेचेगा”, उन्हें मना कर देती हैं।

बीमारियों को बुलावा- “चिंता, चिता समान होती है”…. मन की बातों को बाहर न निकल पाने के कारण अंदर ही अंदर स्ट्रेस यानि तनाव बढ़ता चला जाता है जिसका सबसे ज्यादा असर आपकी सेहत पर देखने को मिलता है। इस तरह के स्वभाव के कारण ज्यादातर लोगों को कमर में दर्द या फिर सांस की तकलीफ होती है।

कैसे इंप्रूव करें- यदि आप ज्यादा लोगों से कम्यूनिकेट नहीं कर सकते तो कम से कम चुनिंदा लोग जैसे अपने साथी, पति या किसी खास मित्र को अपनी ख्वाइशे, अपनी आरजू साथ ही अपनी परेशानी बताएं क्योंकि जब तक आप खुद को एक्सप्रैस नहीं करेंगे तब तक वो आपको इंप्रैस नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही अपनेनिजी व व्यवसायिक रिश्तों में साझेदारी को जरूर अपनाएं।

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