होलाष्टक की शुरूआत दो दिनों बाद अर्थात 5 मार्च से होने जा रही है। होली के आठ दिनों पूर्व होलाष्टक माना जाता है और ज्योतिष शास्त्र में इन आठ दिनों के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य वर्जित माना गया है। इसलिये इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखने की जरूरत है कि होलाष्टक में कोई भी किसी तरह का भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिये, इसका उचित फल प्राप्त नहीं होता है। इन आठ दिनों के दौरान रत्न भी धारण करना उचित नहीं माना गया है।
-न तो सगाई ही करें और न शादी की तारीख निश्चित करें।
-वास्तु पूजन भी न करें।
-रत्न धारण भी न करना चाहिये, नहीं तो शुभ फल की प्राप्ति नहीं होगी।
-कोई विशेष रूप से पूजन पाठ नहीं की जाना चाहिये।
-मांगलिक या शुभ कार्यों को इन आठ दिनों में करने से बचने की जरूरत है।