नई दिल्ली : भारत सरकार का मानना है कि पत्नी के साथ बलात्कार की अवधारणा भारत के लिए सही नहीं है। गृह राज्य मंत्री हरिभाई पारथीभाई चौधरी ने बुधवार को संसद में इसकी वजह यह बताई कि भारतीय समाज में शादी को पवित्र संस्कार माना जाता है। चौधरी ने कहा कि पत्नी से बलात्कार की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भारतीय अवधारणा मेल नहीं कहती है।
इस अंतर की वजह भारत में शिक्षा का स्तर, निरक्षरता, गरीबी, सामाजिक रिवाजों, उनके मूल्य, समाज के बहुस्तरीय ढांचे, धार्मिक मान्यताएं और समाज की सोच में शादी को पवित्र मानने जैसे कई कारण हैं। चौधरी राज्य सभा में डीएमके सांसद कनिमोड़ी के सवाल का जवाब दे रहे थे। कनिमोड़ी ने गृह मंत्रालय से पूछा था कि क्या भारत सरकार आईपीसी में दी गई रेप की परिभाषा में "पत्नी से रेप" को अलग रखे जाने के प्रावधान को हटाने के लिए बिल लाने जा रही है।
कनिमोड़ी ने यह भी पूछा था कि क्या संयुक्त राष्ट्र की महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के उन्मूलन की समिति ने भारत सरकार को पत्नी से बलात्कार को अपराध मानने की सिफारिश की है। कनिमोड़ी ने कहा कि "यूएन पॉप्युलेशन फंड" के मुताबिक भारत में 75 फीसदी विवाहित महिलाएं पतियों द्वारा रेप की शिकार होती हैं। उन्होंने पूछा था कि सरकार इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए क्या करने जा रही है।
इस पर गृह राज्य मंत्री चौधरी ने कहा था कि विदेश मंत्रालय और महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बताया है कि संयुक्त राष्ट्र की महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के उन्मूलन की समिति ने भारत सरकार को पत्नी से रेप को अपराध मानने की सिफारिश की है। हालांकि, मंत्री का कहना था कि 'लॉ कमिशन ऑफ इंडिया' ने अपनी 172वीं रिपोर्ट और रेप कानूनों की समीक्षा के दौरान पत्नी से रेप को अपराध मानने की सिफारिश नहीं की थी। न ही आईपीसी की धारा 375 में बदलाव की बात की थी, लिहाजा इस बारे में कोई बदलाव का प्रस्ताव नहीं है।
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