कॉलेज में पढ़ाया जा रहा था, रोजगार पाना हो तो ले लें दहेज!

कॉलेज में पढ़ाया जा रहा था, रोजगार पाना हो तो ले लें दहेज!
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बेंगलुरु। बेंगलुरू में एक महाविद्यालय में नोट्स को लेकर विवाद हो गया है। विद्यार्थियों के बीच दहेज प्रथा के गुणों का वर्णन करने वाले नोट्स प्रदान किए गए हैं। इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्ती जताई गई है। कहा गया है कि विद्यार्थियों के बीच जो नोट्स वितरित किए गए थे उनमें दहेज प्रथा को लेकर जानकारी शामिल थी। इन नोट्स में दहेज प्रथा के लाभ को लेकर जानकारी का समावेश था।

मगर इसे दहेज प्रथा को समाप्त किए जाने के प्रयासों के खिलाफ माना गया है। जबकि महाविद्यालय का कहना था कि, इस बात की जानकारी नहीं है कि, विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के बाहर कुछ दिया गया था या नहीं। इसमें दहेज प्रथा के लाभ को लेकर जानकारी लिखी गई थी। नोट्स में दहेज प्रथा के समर्थन में कई बातें लिखी गई हैं जिनमें लिखा गया है कि जो लड़कियां बदसूरत होती हैं, हो सकता है कि जिनकी शादी कभी न हो उनकी शादी दहेज में अच्छी रकम देने से हो जाती है।

दहेज में मिले रूपयों की मदद से लड़का अपना नया कारोबार प्रारंभ कर सकता है। नवविवाहित जोड़ा अपना नया घर प्रारंभ कर सकता है। उन्हें जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना करने में मदद मिलती है। ऐसे लड़के जो शादी नहीं करना चाहते हैं दहेज के लिए, वे भी सहमत हो जाते हैं। दहेज के कारण महिला का वर्चस्व परिवार में बढ़ जाता है।

दहेज में महिला काफी सामान साथ लेकर आती है। नोट्स में यह भी लिखा गया है कि, दहेज प्रथा को समाप्त नहीं किया जाना चाहिए। ऋतिका रमेश नाम की एक महिला इसे फेसबुक पर पोस्ट किया।

उन्होंने लिखा, भारत के इज्जतदार कॉलेजों में पढ़ाई का ये स्तर है, 60 लोगों की एक कक्षा में भी कोई छात्र या शिक्षक इसके विरोध में उठकर खड़ा नहीं हुआ। बेंगलुरू के शांतिनगर में सेंट जोसेफ कॉलेज में बीए के एक छात्र को ये नोट्स दिए गए थे। दहेज के ये कथित फायदे जल्द ही सोशल मीडिया पर भी शेयर किए जाने लगे और इस पर विवाद छिड़ गया।

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