कहते है सारी परेशानियों का एक ही समाधान है खुश रहना. यदि बचपन खुशियों से भरा हो तो उसे जिंदगी में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में आसानी होती है. किन्तु अगर किसी बच्चे के बचपन में खुशिया कम हो तो ऐसे बच्चे आगे चलकर चिड़चिड़े और भौतिकवादी बन जाते है.
एक रिसर्च में यह बात सामने आई है, नाखुश बच्चे खुश रहने वाले बच्चों के मुकाबले में अधिक भौतिकवादी और चिड़चिड़े होते है. जो बच्चे अपनी जिंदगी से खुश नहीं होते, वह आगे चल कर रिश्तों और भावनाओं की अपेक्षा भौतिक सुख सुविधाओं को अधिक तरजीह देने लगते है. रिसर्च के अनुसार, नाखुश बच्चों के भौतिकवादी बनने के पीछे कम ख़ुशी के साथ ही दिखाए जाने वाले भी विज्ञापन भी कारण है.
विज्ञापन देख कर नाखुश बच्चों को यह लगता है कि यदि उनके पास सुख सुविधा अधिक रहेगी तो वह खुश हो सकते है. खुश रहने के लिए वे अधिक भौतिकवादी बन जाते है. इस रिसर्च से पहले यह माना जाता था कि भौतिकवादी बच्चे बड़े होने पर नाखुश रहते है, किन्तु इस रिसर्च से पता चलता है कि बच्चे पहले नाखुश होते है और इसी कारण वह भौतिकवादी बनाता है.
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