![आखिर क्यों भगवान शिव ने दिया था माता पार्वती ने श्राप](https://media.newstracklive.com/uploads/other-news/religious-news/Feb/22/big_thumb/fs_65d77595db472.jpg)
भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। दोनों एक दूसरे से अत्यंत प्रेम करते थे। एक बार, भगवान शिव माता पार्वती को ब्रह्म ज्ञान दे रहे थे। वे उन्हें सृष्टि की रचना और रहस्यों के बारे में बता रहे थे।
माता पार्वती भगवान शिव की बातों में पूरी तरह से डूबी हुई थीं। तभी, अचानक, उन्हें एक मधुमक्खी ने काट लिया। दर्द से वे चौंक गईं और भगवान शिव की बातें सुनना बंद कर दिया।
भगवान शिव ने देखा कि माता पार्वती उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रही हैं। वे क्रोधित हो गए और उन्हें श्राप दे दिया। उन्होंने कहा, "तुम्हारा ध्यान भंग हुआ है, इसलिए तुम एक मछुआरे के घर में जन्म लोगी।"
माता पार्वती को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। श्राप वापस नहीं लिया जा सकता था।
श्राप का प्रभाव:
माता पार्वती ने कई जन्मों तक मछुआरे के घर में जन्म लिया। हर जन्म में, वे भगवान शिव को याद करती थीं और उनसे मिलने की इच्छा रखती थीं।
मुक्ति:
एक बार, माता पार्वती ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें दर्शन दिए।
माता पार्वती ने भगवान शिव से क्षमा मांगी और उनसे कहा कि वे उन्हें श्राप से मुक्त करें। भगवान शिव ने माता पार्वती की क्षमा स्वीकार कर ली और उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया।
शिक्षा:
इस कथा से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें ध्यान केंद्रित करना चाहिए और किसी भी काम को करते समय एकाग्रता बनाए रखनी चाहिए। हमें भगवान का अपमान नहीं करना चाहिए और उनकी बातों का ध्यानपूर्वक पालन करना चाहिए।
यह भी ध्यान रखें:
यह कथा हमें प्रेम, भक्ति और क्षमा का महत्व सिखाती है।
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