जाने क्या है चार धाम की यात्रा करने का कारण
जाने क्या है चार धाम की यात्रा करने का कारण
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भारत में चार धाम की यात्रा का बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.कहते है की चार धाम की यात्रा करने से सारे पाप धुल जाते है.चार धाम की यात्रा को तीर्थ भी कहा जाता है. चारो दिशाओ में स्थित होने कारन इन्हें चार धाम कहा जाता है. बद्रीनाथ उत्तर में, दक्षिण रामेश्वर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका. प्राचीन समय से ही चारधाम तीर्थ के रूप मे मान्य थे,

लेकिन इनकी महिमा का प्रचार आद्यशंकराचार्यजी ने किया था.चारों धाम की यात्रा को चार दिशा में स्थित करने के पीछे यह कारण था की लोग भगवान के दर्शन के बहाने भारत के लोग कम से कम पूरे भारत का दर्शन कर सके. 

बद्रीनाथ धाम-बद्रीनाथ उत्तर दिशा का मुख्य यात्राधाम माना जाता है. मन्दिर में नर-नारायण की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है, जो कि अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक है.

रामेश्वर धाम-रामेश्वर में भगवान शिव की पूजा लिंग रूप में की जाती है. यह शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है. 

पुरी धाम-पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है. यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है. जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है. इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है. 

द्वारिका धाम-द्वारका भारत के पश्चिम में समुद्र के किनारे पर बसी है. आज से हजारों वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने इसे बसाया था. कृष्ण मथुरा में उत्पन्न हुए, गोकुल में पले, पर राज उन्होने द्वारका में ही किया. यहीं बैठकर उन्होने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में संभाली. पांडवों को सहारा दिया. कहते हैं असली द्वारका तो पानी में समा गई,

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