मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का इंदौर शहर के जूनी इंदौर क्षेत्र में राम का अपने आप में अनूठा मंदिर है। यहां राम और लक्ष्मण की मूंछों वाली प्रतिमाएं हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तरह का दुर्लभ मंदिर मध्यप्रदेश में तो संभवत: कहीं नहीं है। लाल मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर का निर्माण करीब 180 साल पहले यानी संवत 1888 में हुआ था। राम, सीता, लक्ष्मण के साथ ही इस मंदिर में राधा-कृष्ण और गणेशजी की भी मूर्तियां हैं। मंदिर में रामायण और महाभारत से जुड़े प्रसंगों की भी आकर्षक तस्वीरें लगी हुई हैं।
और कुए से निकले हनुमान : यहां राम के साथ स्वयंभू हनुमान जी भी विराजित हैं। इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि राम मंदिर बनने के करीब 10 साल बाद यह प्रतिमा परिसर में स्थित कुएं से निकली थी। मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द की भी मिसाल है। मंदिर में स्थित कुएं के पानी का सभी धर्म और जाति के लोग उपयोग करते हैं। इस मंदिर में पूजा-अर्चना का काम पुजारी परिवार देखता है। वर्तमान में इस परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य पंडित गोपाल पुजारी पूजा-अर्चना कर रहे हैं। वे बताते हैं कि पहली पीढ़ी में गिरिधारी दास पुजारी, दूसरी पीढ़ी में गंगादास और तीसरी पीढ़ी में प्रेमदास (70 वर्ष तक) ने मंदिर में भगवान की सेवा की है। वे कहते हैं कि मामाजी के नाम से प्रसिद्ध प्रेमदास पुजारी का तो मंदिर के प्रति इतना अनुराग था कि तबादला होने पर उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी थी।
लाल मंदिर में रामनवमी, हनुमान जयंती और जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन होते हैं। विशेष अवसरों पर मंदिर के भगवान नगर भ्रमण पर भी निकलते हैं। खासकर यहां संतानहीन दंपत्ति संतान की कामना लेकर आते हैं। इसके लिए रामनवमी और जन्माष्टमी पर निसंतान महिलाओं की गोद भराई होती है।