7 काम जो सोने से पहले करना चाहिये
7 काम जो सोने से पहले करना चाहिये
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आमतौर पर लोग सुबह या दिन की शुरुआत में क्या करना चाहिये, इस बारे में तो बहुत ध्यान देते हैं; किन्तु दिन के अंत में यानि सोने से पहले क्या करना चाहिये इस बात पर कम ही ध्यान देते हैं । जबकि सोने से पहले के काम और ख्याल आपके सब-कांसस और अन-कांसस माइंड को बहुत प्रभावित करते हैं; जिससे आपकी नींद, आपके सपने, आपकी सोच-समझ और आपका अगला दिन; बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से आपका भविष्य भी प्रभावित होता है । इसलिए 'सोने से पूर्व आप क्या करते हैं', यह उतना ही महत्वपूर्ण है; जितना कि "आप सुबह में क्या करते हैं" ।

यहाँ हम ऐसे 7 कामों की जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें करना आपके लिए उपयोगी हो सकता हैं । हालांकि, हर व्यक्ति के लिए इनकी उपयोगिता अलग- अलग है और अपनी जरूरतों के अनुरूप आप इनमें समय का बंटवारा कर सकते हैं और कोई अनुपयोगी हो तो उसे छोड़ भी सकते हैं । वैसे अधिकांश बातें ऐसी हैं, जो सामान्यतः, किसी न किसी रूप में सभी लोगों के लिए उपयोगी है ।

शाम की सैर या चहलकदमी: दिनभर बैठक का काम करने वालों के लिये शाम की सैर विशेष उपयोगी है । शाम को 6-7 या 8 बजे तक भी ऑफिस से लौट आने वाले लोग यदि परिवार के साथ या दोस्तों /पड़ोसियों के साथ शाम को कुछ देर (10 से 30 मिनट) के लिए खुली हवा में घूमें तो यह कई प्रकार से लाभदायक होता है । परिजन या कोई अन्य हम-कदम हो तो उनके साथ कई प्रकार की सकारात्मक, उपयोगी या यों ही मन हल्का करने वाली बातें हो सकती हैं और आप अकेले भी सैर करें तो खुद से ही ऐसी बातें कर सकते है । कुछ सोच-विचार नहीं करके यदि मात्र आसपास के नजारों को साक्षीभाव से देखते हुए घूमें, तो उसके अलग तरह के फ़ायदे हैं ।

सैर से कुछ व्यायाम होने, तनाव कम होने और ताजी हवा के साथ मन को ताज़गी मिलने के फ़ायदे तो है ही । जिन लोगों के काम में शारीरिक श्रम या काफ़ी चलना-फिरना शामिल हैं; वे शाम की सैर उसी दिन करें जिस दिन ऐसा काम नहीं किया हो; तो अधिक उचित रहेगा। कामकाजी दिन में वे शाम के भोजन के बाद 4-6 मिनट घर के आसपास चहलकदमी ही कर लें तो भी काफ़ी रहेगा । अर्थात, प्रयास यह होना चाहिये की 24 घंटे के काम में शारीरिक व मानसिक श्रम तथा विश्राम या नींद के बीच समुचित संतुलन बना रहे ।​

दिन की समीक्षा: जब आपके अपने व्यवसाय से संबन्धित दिन के काम लगभग पूरे हो चुके हों तो आप उनके बारे में एक समीक्षात्मक विचार कर सकते हैं । यह काम आप शाम की सैर करते हुए करें तो आपकी मर्जी;  बेहतर है कि इसे सैर के बाद कही बगीचे या किसी भी शांत जगह बैठकर करें । बेंजामिन फ़्रेंकलिन और कई अन्य महान व सफल लोग ऐसा करके लाभान्वित हुए है । इस समीक्षा में हमें दिन की सभी सकारात्मक व नकारात्मक बातों पर संतुलित और यथासंभव निर्लिप्तता (या साक्षीभव) से विचार करना चाहिये । खासतौर पर हमें अपने निर्णयों व कार्यों की इस प्रकार विवेचना करना चाहिये कि जिससे हम दोनों ही प्रकार के कार्यों से भविष्य के लिए कुछ सीख ले सकें । सबसे जरूरी इस बात पर ध्यान रखना है कि हम अपने लक्ष्य के अनुरूप ही सही दिशा व तरीके से कार्य कर रहे हैं या नहीं ?

स्वाध्याय या अच्छी किताबें पढ़ना: ज्ञान-वर्धक पुस्तकें पढ़ने के लिए शाम का समय बहुत उपयुक्त है । वैसे स्वाध्याय तभी पूरा होता है, जबकि हम पढ़ी हुई बातों पर मनन-चिंतन करें और उसके बारें में स्वयं की निष्पक्ष राय बनाएँ या नए प्रश्न उठाएँ और आगे अधिक जानने का मन बनाएँ । यदि आप सुबह अखबार का संपादकीय नहीं पढ़ सकें हैं और वह आपको उपयोगी विषय का लगा था, तो उसे ही पढ़े; क्योंकि सामयिक विषयों की जानकारी रखना सर्वाधिक उपयोगी स्वाध्याय है । वैसे तो विषय व पुस्तक का चयन आपकी अपनी रुचि पर निर्भर है । यदि आपके काम और भावी कदम के संदर्भ में इंटरनेट से कुछ सर्च कर पढ़ना या सोशल-नेटवर्किंग उपयोगी लगें तो वह भी कर सकते हैं । उद्धेश्य यह है की आपको दिमागी खुराक मिले और आपका विचार-मंथन भी हो ।

अगले दिन की योजना बनाना: यदि आपको शाम को समीक्षा करने का समय मिलता है तो बहुत संभव  है कि आपको साथ-साथ ही कल की योजना बनान भी सुविधाजनक लगे । दोनों काम एक-दूसरे से जुड़े होने से कुल समय काम लगेगा । साथ ही सुबह शीघ्र ही आप योजनानुसार काम करने लगेंगे । अधिक जिम्मेदार पदों के लोगों के लिए ऐसा करना और भी उपयोगी होता है; क्योंकि इससे उन्हें अधिक विकल्पों पर विचार करने के लिए अधिक समय मिलता है ।

धन्यवाद ज्ञापन या थैंक्स गिविंग: जिनहोने भी दिन में आपकी जरा-सी भी मदद की या जिनका व्यवहार आपको अच्छा लगा, उनके प्रति मन में धन्यवाद या कृतज्ञता का भाव लाने से आप अहंकार व आत्म-केन्द्रित होने की दूरभावनाओं से बचते हैं और सद्भावनाएं बढ़ती हैं । जब हम दिन की समीक्षा करते हैं, तभी यह काम भी कर सकते हैं । जिसे धन्यवाद देना है उसे तुरंत ही धन्यवाद कह दें, यह तो सबसे अच्छी बात है । किन्तु यदि ऐसा नहीं भी हुआ तो भी यदि आप मन में किसी के प्रति धन्यवाद का भाव लाते हैं, तो यह आपके स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य व व्यक्तित्व के लिये किसी टॉनिक की तरह है । यदि दिन की समीक्षा के दौरान यह नहीं हो पाया हो तो इसे शाम में कभी-भी चंद मिनट निकाल कर जरूर करें और दिनचर्या का अनिवार्य अंग मानकर करें । इसके चमत्कारिक लाभ होते हैं ।

ध्यान या मेडिटेशन: यहाँ ध्यान से अभिप्राय किसी धार्मिक रिचुयल से नहीं है; वह तो अपनी-अपनी आस्थाओं का मामला है । यहाँ ऐसे ध्यान के बारे में हम बात कर रहे हैं, जिसमें हमने दिनभर जो कुछ किया या अबतक जो भी विचार किया उन सब को लेकर मन-मश्तिष्क को साक्षीभाव में व उससे समभाव में लाते हैं । अर्थात हम मन को खुला छोडकर एक दर्शक की तरह देखते हैं कि उसमें क्या विचार आ रहे हैं । जो भी विचार आए, उनसे मात्र दर्शक की तरह निर्लिप्त/ अप्रभावित होने का सोच बनाते हैं । ऐसे में अच्छा-बुरा, सफलता-असफलता सब हमारे लिए समान महसूस होने लगती है; यही समभाव है ।

विचारशून्य होकर योगनिद्रा लेना: जब समभाव आ जाए तो यह सोने का उपयुक्त मूड होता है । इसके बाद नए विचार आना बंद हो जाएंगे और आप आराम से बिस्तर पर लेटकर अच्छी नींद ले सकते हैं । यदि आप कुछ योग जानते हैं तो ऐसे में शवासन में लेटकर श्वांस-प्रश्वांस पर ध्यान केन्द्रित करके योग-निद्रा भी ले सकते हैं ।                                

                    

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