काफी लंबे समय से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है. चीन सीमा पर अपनी हरकतों से बाज नही आ रहा है. हर दिन भारत विरोध हरकत चीन सीमा पर करता रहता है. लेकिन आपसी तनतानी के बीच बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने निमू के पास तीन नए सामरिक पुल बनाए हैं, जो भारतीय सेना को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में अपने टैंक और तोपखाने की तोपों को ले जाने में सहायता प्रदान करने वाला है. डीजल की कीमतों में फिर लगी आग, जानिए क्या हैं आज के भाव निमू में बीआरओ का निर्माण सेना की ताकत में विस्तार करने के लिए किया गया है. इन बीआरओ का निर्माण 24 टन के वाहनों आवगमन के लिए किया गया है. साथ ही, एक बेली ब्रिज को भी अपग्रेड किया जा रहा है. अपग्रेड होने के बाद इस पुल का उपयोग 70 टन के वाहनों के लिए किया जाने वाला है. यह कार्य तीन महीने के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है. इन तीनों पुलों के निर्मण से पहले भारतीय सेना अपने टैंकों को ले जाने के लिए सी -17 और इल्युशिन -76 परिवहन विमान का इस्तेमाल करती थी. वही, बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन भारत सरकार की एजेंसी है जो सीमाओं पर रोड का जाल तैयार करने का काम करती है. बीआरओ के अधिकारी बी. किशन ने बताया कि इस पुल का निर्माण तीन महीने के रिकॉर्ड समय में किया गया है. सेना के अनुरोध पर हमने 50 मीटर लंबा स्टील की संरचना वाला पुल तैयार किया है, जो किसी भी प्रकार के भार को ले जाने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि यह एक आर -70 श्रेणी का पुल है,जिसका उपयोग 70 टन तक के वाहनों के लिए किया जा सकता है. कोविड-19 पर बनी डॉक्यूमेंट्री को मनोज बाजपेयी देंगे अपनी आवाज इसके अलावा ये पूछे जाने पर कि क्या इन पुलों का उपयोग भारी वाहनों के आवजाही के लिए सही है. तो, जवाब मिला कि सैनिकों और भारी उपकरणों की आवाजाही में पुल काफी मददगार साबित होगा. बीआरओ अधिकारी ने बताया कि यह सेना की आवश्यकताओं को पूरा करेगा और नागरिक जरूरतों को भी पूरा करेगा. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से इससे बहुत मदद मिली है. यह भारतीय सेना या नागरिक आवश्यकता के किसी भी प्रकार के भार को ले जा सकता है. भूकंप से हड़कंप, अरुणाचल प्रदेश के बाद सिंगापुर और इंडोनेशिया में भी हिली धरती 24 घंटों में 22 हज़ार नए कोरोना केस, अब तक 20 हज़ार लोगों की मौत चीन के खिलाफ युद्ध में भारत के साथ रहेगी US आर्मी, अमेरिका ने की घोषणा