इस टीम के पास अभ्यास के लिए जूते नहीं थे, फिर भी अंडर-14 टूर्नामेंट में तीन टीम को हराया

अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी छोटी साबित होती हैं. देवघर के एक स्कूली फुटबॉल टीम के खिलाडि़यों ने दिखा दिया कि जीतने के लिए संसाधन नहीं, जिद और जज्बा होना चाहिए. बीते दिनों राजधानी दिल्ली में आयोजित सुब्रतो कप अंडर-14 में इन खिलाडि़यों ने अपने प्रदर्शन से लोगों के दिलो दिमाग पर अलग ही छाप छोड़ी. टीम के शानदार प्रदर्शन से लोग उनके इस मैच को नहीं भूल पाएंगे. 

देवघर से दिल्ली तक का सफर तय करने के पीछे इनकी लंबी कहानी है. पागल बाबा ट्रस्ट की ओर से संचालित लीलानंद पागलबाबा उच्च विद्यालय की इस फुटबॉल टीम के मैनेजर कुणाल कुमार चौधरी बताते हैं कि प्रतिभा पैसे की मोहताज नहीं होती. बस उसे पहचान कर निखारने की जरूरत होती है. इस टीम ने कई बड़ी टीमों को शिकस्त दी है. प्रखंड, जिला, प्रमंडल व राज्य स्तर की प्रतियोगिता में धमाकेदार जीत दर्ज कर दिल्ली का सफर तय किया. इनका जज्बा अपने आदर्श फुटबॉलर मेसी, रोनाल्डो और सुनील छेत्री जैसा बनने का है| इनकी कहानी संघर्षो से भरी है. दिनभर स्कूल में पढ़ाई करने के बाद ये रोज साइकिल से तीन किमी दूर अभ्यास करने कुमैठा स्टेडियम जाते हैं. इन्होंने घरवालों से न तो जूते के लिए पैसे मांगे, न किट के. जो जूता मिला, उसी से अभ्यास किया. नहीं मिला तो नंगे पैर मैदान में उतर पड़े. पैरों में कंकड़ चुभे तो भी दर्द जाहिर नहीं होने देते.

दिल्ली में आयोजित सुब्रतो कप अंडर-14 में इन्होंने शानदार प्रदर्शन किया. मगर इस दौरान ऐसी बात हुई जो उनका कलेजा छलनी कर गई. इनके पास केवल बूट थे. वहां आंबेडकर स्टेडियम में कृत्रिम घास यानी एस्ट्रो टर्फ पर अभ्यास हो रहा था. जब ये बूट पहनकर वार्मअप करने गए तो रोक दिया गया. आयोजकों ने कहा कि इस बूट से टर्फ खराब हो जाएगी. आप प्राकृतिक घास के मैदान पर उद्घाटन मैच खेलिए. इसके बाद भी टीम ने हिम्मत नहीं हारी और अपना शनदार प्रदर्शन जारी रखा. उद्घाटन मैच में टीम को रिलायंस फाउंडेशन की टीम से भिड़ना था. पहले हॉफ में तीन गोल से पिछड़े. दूसरे हॉफ में एक गोल किया. मगर रिलायंस फाउंडेशन ने 4-1 से हरा दिया. इस मैच के बाद टीम ऐसी एकजुट हुई कि हरियाणा, लक्षद्वीप और आइबीएसओ की टीम को हरा दिया. उज्बेकिस्तान से वॉकओवर मिला. बावजूद रिलायंस की हार से अंकों के आधार पर अगले दौर में टीम नहीं पहुंची. मगर, जता दिया कि भविष्य सुनहरा है.

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