तमिलनाडु में केवल चेन्नई के आस-पास ही हो रही कोरोना टेस्टिंग, दूसरे इलाके बन सकते हैं मुसीबत

चेन्नई: महाराष्ट्र के बाद देश में सबसे अधिक कोरोना वायरस से प्रभावित राज्य तमिलनाडु है. तमिलनाडु को पूरे प्रदेश में समान कोरोना टेस्टिंग के लिए बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि इसकी डायग्नॉस्टिक क्षमता ज्यादातर चेन्नई या उसके आसपास के जिलों में ही केंद्रित है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में अब तक 553,000 और राजस्थान में 506,800 कोरोना टेस्ट हुए हैं. इसकी तुलना में तमिलनाडु ने अब तक तक़रीबन 593,000 लोगों की जांच की है.

8 जून को सुबह 9.30 बजे तक, तमिलनाडु में कोरोना मामलों की गिनती 31,667 थी. ये महाराष्ट्र के 85,975 के बाद देश में किसी प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है. 27,654 संक्रमित मामलों के साथ दिल्ली तीसरे स्थान है. तमिलनाडु में कुल 76 जांच केंद्र हैं, जिनमें से 32 प्राइवेट लैब हैं. राज्य सरकार के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि तमिलनाडु में दर्ज किए गए सभी मामलों में से 71 प्रतिशत अकेले चेन्नई जिले से हैं. राज्य के सभी 37 जिलों में जितनी जांचें हुईं हैं, उनमें से अकेले चेन्नई जिले 23 फीसदी हुए. चेन्नई के साथ आसपास के जिलों को भी मिला लिया जाए तो ये हिस्सेदारी 30 प्रतिशत बैठती है. हालांकि चेन्नई और आसपास के जिलों में राज्य के कुल कोरोना वायरस मामलों में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

इसके साथ ही, चेन्नई जिले में 18.13 फीसद की पॉजिटिविटी दर दर्ज की गई. इसके बाद चेंगलपट्टू 13.28 फीसद, तिरुवल्लूर 11.96 फीसद और अरियालुर 9.62 फीसद का नंबर आता है. प्रदेश के दक्षिणी जिले जैसे कि मदुरै और डिंडीगुल एक और बड़ी चिंता का सबब हो सकते हैं. जहां राष्ट्रीय औसत से कम जांच हो रहे हैं.

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