भारत के प्रति दोगलापन क्यों..? दोस्त रूस को आया गुस्सा, पश्चिमी मीडिया को जमकर लगा दी लताड़

नई दिल्ली: आज दुनियाभर की नज़रें भारत पर तिकी हुईं हैं, क्योंकि देश पहली बार दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के संगठन G20 की मेजबानी और अध्यक्षता कर रहा है।  9-10 सितबंर के बीच आयोजित हो रहे शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दुनिया के तमाम बड़े नेता दिल्ली पहुंचे हुए हैं। G20 आयोजन के लिए भारत ने बेहतरीन तैयारी की है, जिसकी चर्चा देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के मीडिया में भी चल रही है। मगर, इसी बीच पश्चिमी मीडिया में कुछ ऐसी खबरें भी प्रकाशित हो रही हैं जिसमें आयोजन के मद्देनजर दिल्ली के सौंदर्यीकरण के लिए कुछ इलाकों में झुग्गियों को गिराने को लेकर नेगेटिव रिपोर्टिंग की गई है और केवल इसी को फोकस करते हुए मुद्दा बनाने की कोशिश की गई है। इसको देखते हुए भारत का परम मित्र रूस भड़क गया है और रूस की सरकारी ब्रॉडकास्टर रसिया टीवी (RT) ने पश्चिमी मीडिया को आड़े हाथों लिया है।

केवल नकारात्मक खबरों को दी प्राथमिकता क्यों ?

RT ने अपने एक ऑपिनियन आर्टिकल में कहा है कि भारत ने शानदार तरीके से G20 समिट का आयोजन किया है, मगर पश्चिमी मीडिया में इस आयोजन को लेकर सिर्फ नकारात्मक खबरें ही दिखाई जा रही हैं। RT ने लिखा कि, 'पश्चिमी पत्रकारों ने पूरे G20 के शानदार आयोजन को छोड़कर केवल, इस बात पर फोकस रखा है कि कैसे भारतीय अधिकारियों ने जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले गरीब बस्तियों को हटाने करने के लिए सौंदर्यीकरण अभियान चलाया है। रूसी मीडिया ने कहा कि, यह इस बात का सबूत है कि गैर-पश्चिमी देशों के बारे में कुछ भी लिख देना पश्चिमी मीडिया के लिए कितना आसान है। उन्होंने अपनी कवरेज को सिर्फ नकारात्मक खबरों तक ही सीमित कर रखा है।'

RT ने अपने आर्टिकल में आगे लिखा कि इस साल भारत के सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में जी-20 की 220 बैठकों का आयोजन हुआ है, जिसे भारत ने सफलतापूर्वक संपन्न किया है। बेशक, इस तरह के बड़े आयोजनों में कुछ खामियां रह जाती हैं, लेकिन ये अधिकांश देशों की बैठकों में होता है। फिर भी भारत के आयोजन को ह्यूमन सेंट्रिक रखा गया है, जिसमें बड़े समूह शामिल हुए हैं और इसके लिए भारत की तारीफ भी हुई है। रूसी मीडिया ने लिखा कि, भारत में बीजेपी की विपक्षी आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी इस आयोजन के लिए केंद्र सरकार की प्रशंसा की है।

पश्चिमी मीडिया के लिए ग्लोबल साउथ अजनबी :-

रूसी मीडिया ने आगे लिखा कि पश्चिमी मीडिया ग्लोबल साउथ, जिसका मुखिया भारत है, के देशों को परिचित अजनबियों की तरह देखता है जिसका सबूत G20 शिखर सम्मेलन की कवरेज में साफ देखने को मिल रहा है। RT ने पश्चिमी मीडिया को पश्चिमी देशों की असलियत बताते हुए आगे लिखा है कि, 'पश्चिम के ज्यादातर अमीर देशों में भी लाखों गरीब लोग हैं और केवल एक कुलीन अमीर वर्ग है। पश्चिमी देशों में आय असमानता रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। तो क्या मीडिया को इस टाइपकास्टिंग (एकतरफा ख़बरों) से ज्यादा पाठक मिलते हैं या यह उनकी औपनिवेशिक मानसिकता का उदाहरण है?'

पीएम मोदी पर रिपोर्ट के लिए रूसी मीडिया ने वाशिंगटन पोस्ट को लगाई फटकार:- 

RT ने अमेरिका के प्रमुख अखबार वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए लिखा कि, 'वाशिंगटन पोस्ट ने अपने एक आर्टिकल में लिखा कि किस तरह पीएम नरेंद्र मोदी ने वैश्विक कार्यक्रम G20 को अपने रिब्रांडिंग के लिए उपयोग किया है। वाशिंगटन पोस्ट के उस लेख में कहा गया कि, 'पूरे देश में बिलबोर्ड पर पीएम मोदी का चेहरा चिपका दिया गया है। इसका संदेश सरल है: विश्व के शीर्ष नेताओं की मेजबानी करके, भारत एक विश्व शक्ति के रूप में उभरा है, और मोदी ही वो व्यक्ति हैं, जो देश को वहां तक ले गए हैं। मगर वास्तविकता थोड़ी अलग है: G20 की अध्यक्षता हर सदस्य देश को मिलती है, जैसे इंडोनेशिया को गत वर्ष मिली थी।''

वाशिंगटन पोस्ट के लेख को लेकर रुसी मीडिया ने लिखा कि, 'पूरे विश्व के नेता इस तरह के आयोजनों का उपयोग खुद को दूसरे देशों के नेताओं के सामने अच्छे तरीके के प्रदर्शित करने और अपने वोटर्स को आकर्षित करने के लिए करते हैं। और भारत तो वर्ष 2000 से ही एक अभियान चला रहा है- अतुल्य भारत। पूरी दुनिया के नेता इस तरह के वैश्विक सम्मेलनों अथवा किसी प्राकृतिक त्रासदी के समय लाइमलाइट में आते हैं। तो फिर भारतीय नेता के मामले में इतना दोगलापन क्यों?'

भारत के प्रति पश्चिमी मीडिया का दोगलापन?

रूसी मीडिया ने पश्चिमी मीडिया को आईना दिखाते हुए अपने आर्टिकल में आगे लिखा है कि जिस तरह से भारत में अमीरी के बीच गरीबी की समस्या है, अमेरिका के सिलिकन वैली (कैलिफोर्निया) में लोगों के पास रहने के लिए घर तक नहीं है, अमेरिका के बड़े शहरों में बड़े स्तर पर ड्रग्स की समस्या है, जिससे संबंधित वीडियो अक्सर सामने आते रहते हैं। यूरोप के ज्यादातर शहर प्रवासियों और बेरोजगारी की समस्या का सामना रहे हैं। अपने आर्टिकल में आखिर में तीखे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए रूसी मीडिया ने लिखा है कि, 'ऐसे समय में जब पश्चिम के कामगार, डॉक्टर्स से लेकर हॉलीवुड लेखकों तक, कामकाज का शोषण वाली स्थिति और कम वेतन को लेकर खफा हैं, पश्चिमी मीडिया का सिर्फ विकासशील दुनिया के नेताओं की गरीबी और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर फोकस करना कट्टर दोगलापन है।'

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