मुंबई: एक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा है कि यदि कोई व्यक्ति गलत इरादे के बिना नाबालिग लड़की की पीठ और सिर पर हाथ फेरता है तो इससे किसी प्रकार की मर्यादा भंग नहीं होती। 2012 के मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए 28 वर्षीय व्यक्ति को दोषमुक्त करार दिया है। तकरीबन 10 वर्ष पहले 18 वर्षीय लड़के पर 12 वर्षीय लड़की की लज्जा भंग करने का मुकदमा दर्ज करवाया गया था। पीड़िता का कहना था कि अपराधी ने उसकी पीठ और सिर पर हाथ फिराते हुए कहा था कि वह बड़ी हो गई है। जस्टिस भारती डांगरे की सिंगल जज वाली बेंच ने मयूर येलोरे नाम के अपराधी को दोषमुक्त कर दिया है। उसपर आईपीसी की धारा 451 और 354 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। 10 फरवरी को आदेश सुनाते हुए जज ने कहा था, किसी महिला की लज्जा भंग करने के मामले में सबसे जरुरी हो जाता है कि पुरुष का इरादा उस प्रकार का रहा हो। यह किसी प्रकार की प्रताड़ना का मामला नहीं है। इसमें व्यक्ति ने सिर्फ लड़की के सिर और पीठ पर हाथ फेरा था। जज ने कहा, पीड़िता ने भी यह नहीं कहा है कि अपराधी ने गलत इरादे से उसे छुआ था। उसने बस यही कहा है कि उसे इस प्रकार से छुआ जाना अच्छा नहीं लगा और उसने असहज महसूस किया। जसिट्स डांगरे ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने किसी तरह का सबूत नहीं पेश किया है जिससे पता चले कि पीड़िता की मर्यादा भंग करने के उद्देश्य से हरकत की गई थी। मिल रही खबर के अनुसार, अपराधी कुछ दस्तावेज देने के लिए लड़की के घर गया था। उस वक़्त घर पर लड़की अकेली ही थी। तभी उसे उसके सिर और पीठ पर हाथ फेरा। तत्पश्चात, वह जोर-जोर से चिल्लाई। लोअर कोर्ट ने अपराधी को दोषी ठहराया था। इसके बाद उसने उच्च न्यायालय में अर्जी दी। उच्च न्यायालय ने लोअर कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। विधानसभा में बंद हुआ BJP विधायक का माइक, मचा हंगामा सरेआम RJD नेता का हुआ अपहरण, मचा हड़कंप गोलियों की आवाज से गूंजा गांव, भाजपा नेता की हुई हत्या