जटायु से मिले राम, लक्ष्मण ने काट दी शूर्पणखा की नाक

अब तक रामायण में यह दिखाया गया कि राम, सीता और लक्ष्मण शरभंग ऋष‍ि से मिलने के बाद आगे बढ़ते हैं. वन में आगे चलने के दौरान वे कई राक्षसों का संहार करते जाते हैं. अब उनकी भेंट जटायु से होती है और शूर्पणखा से भी सामना होता है.श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण, मुनिवर सुतीक्ष्ण के साथ महर्षि अगस्त्य के आश्रम में उनसे मिलने आते हैं और महर्षि अगस्त्य का आशीर्वाद लेते हैं. इसके साथ ही महर्षि अगस्त्य, श्रीराम के आने से बेहद प्रसन्न हैं और वे श्रीराम को अपने आश्रम में रहने को कहते हैं, परंतु श्रीराम को अभी दंडक वन में रहकर ही राक्षसों का संहार करना है. वहीं इसलिए वो उन्हें मना कर देते हैं. महर्षि अगस्त्य, श्रीराम को पंचवटी, पव‍ित्र गोदावरी के किनारे जाकर अपना स्थान बनाने को कहते हैं. साथ ही ये भी बताते हैं क‍ि आगे के रास्ते में श्रीराम के सामने बहुत सी कठिनाई आने वाली है और इसलिए महर्षि अगस्त्य, श्रीराम को एक खास धनुष देते हैं जिससे  वे राक्षसों का सामना कर सकें. राम और लक्ष्मण को ऐसे बाण भी देते हैं जो खत्म नहीं होंगे. वहीं श्रीराम ये सब पाकर महर्षि अगस्त्य को धन्यवाद करते हैं.इसके बाद श्रीराम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी की ओर आगे बढ़ते हैं और रास्ते में उन्हें एक बड़ा गिद्द मिलता है. श्रीराम उस गिद्द को प्रणाम करते हैं और उनसे पूछते हैं क‍ि वे कौन हैं. 

इसके अलावा वो गिद्द, श्रीराम को कहता है की मैं राजा दशरथ का मित्र हूं और मेरा नाम जटायु है. तुम पंचवटी में रहो मैं यहां तुम्हारी रक्षा के लिए हमेशा उपस्थित रहूंगा. पंचवटी में लक्ष्मण कुटिया बनाते हैं. श्रीराम, लक्ष्मण और सीता इस कुटिया में रहने लगते हैं. वहीं सीता को अचानक अयोध्या की याद आती है और साथ ही श्रीराम भी कहते हैं क‍ि अयोध्या की माटी के साथ साथ मां कौशल्या की भी बहुत याद आती है. 12 वर्ष से अधिक हो गए हैं वनवास के.उधर बेटे राम को मां की याद आई तो अयोध्या में मां कौशल्या को लगता है क‍ि उसे राम ने पुकारा है. कौशल्या को ये एहसास होता है क‍ि उसका पुत्र राम लौट आया है और वो दरवाजे की ओर दौड़ी चली जाती है.वहीं  राम का नाम पुकारकर, लेकिन जल्द ही मां कौशल्या का ये भ्रम टूटता है और रानी सुमित्रा, कौशल्या को बताती हैं क‍ि अभी और एक वर्ष बाकि है राम के लौटने में, जिसे सुनकर रानी कौशल्या रोने लगती हैं. वहीं श्रीराम अपनी कुटिया में एक वृक्ष के नीचे बैठे ध्यान कर रहे होते हैं क‍ि वहां श्रीराम को देखती है शूर्पणखा. श्रीराम को देख उसकी आंखें चकाचौंध रह जाती है. वहीं शूर्पणखा में राम से विवाह करने की इच्छा हो जाती है और वो एक सुंदरी का रूप लेकर श्रीराम के पास आती है और श्रीराम से शूर्पणखा कहती है क‍ि तुम एक परम तेजस्वी सुन्दर पुरुष हो और मैं त्रिलोक सुंदरी नारी. 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की श्रीराम उससे कहते हैं क‍ि वो उसकी क्या सहायता कर सकते हैं. ऐसे में शूर्पणखा कहती हैं मैं तुम्हारे पास पतिभाव लेकर आई हूं. हम दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हैं और बताती हैं क‍ि वो रावण की बहन शूर्पणखा है और साथ ही अपने परिवार के बारे में बताती हैं. श्रीराम, शूर्पणखा को बताते हैं क‍ि वो राजा दशरथ के पुत्र राम हैं.शूर्पणखा अपनी इच्छा बताती है क‍ि वो राम से विवाह करना चाहती है. तभी वहां देवी सीता आ जाती हैं और राम, शूर्पणखा को बताते हैं क‍ि वो विवाहित हैं और अपनी पत्नी सीता से मिलवाते हैं. सीता को देख शूर्पणखा क्रोधित हो जाती है और सीता को दासी बनाने की बात कहती है. वो श्रीराम से कहती है क‍ि वे शूर्पणखा से विवाह कर लें, तभी वहां लक्ष्मण आ जाते हैं और श्रीराम के विवाह के लिए मना करने के बाद शूर्पणखा, लक्ष्मण के पास जाती है और उनसे विवाह करने को कहती है. परंतु लक्ष्मण भी शूर्पणखा को मना कर देते हैं. ऐसे में शूर्पणखा बहुत क्रोध में आ जाती है और अपने राक्षसी रूप में आकर वो सीता पर हमला कर देती है. अपनी भाभी मां सीता को बचाने के लिए लक्ष्मण शूर्पणखा पर वार करता है और शूर्पणखा की नाक काट देता है. क्रोधित शूर्पणखा वहां से चली जाती है परंतु ये कहकर जाती है क‍ि वो उनका सर्वनाश कर देगी.

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