कर्मचारी को नौकरी से निकालने को लेकर हाईकोर्ट ने कही यह बात

लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के बीच आपराधिक मामले में लिप्त कर्मचारी की सेवा समाप्त करने को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम आदेश जारी किए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही कर्मचारी को सजा मिल चुकी हो, फिर भी यदि उसका अपराध नैतिकता के पतन की श्रेणी में नहीं आता है तो उसकी सेवाओं को समाप्त नहीं किया जा सकता.

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इस मामले को लेकर याचिका दाखिल करते हुए कुलदीप ने हाईकोर्ट को कहा कि 2003 में उसे हरियाणा के जेल विभाग में वार्डन के पद पर नियुक्ति दी गई थी. 2007 में गांव के ही एक परिवार के साथ विवाद के चलते उस पर और उसके परिवार वालों पर एफआईआर दर्ज की गई थी. इस एफआईआर के चलते उसे छह महीने की सजा सुनाई गई थी.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सजा के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील खारिज हो गई. इसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती दी. हाईकोर्ट ने सजा को निलंबित करते हुए याचिका को एडमिट कर लिया था. इसी बीच हरियाणा सरकार ने आपराधिक मामले में मिली सजा को आधार बनाते हुए उसकी सेवाओं को समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए. वही, हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह दो परिवारों के बीच का मामूली विवाद है, जो नैतिकता के पतन की श्रेणी में नहीं आता. ऐसा अपराध जो नैतिकता के पतन की श्रेणी में न आता हो उसके लिए किसी कर्मचारी की सेवाओं को समाप्त करने के आदेश जारी नहीं किए जा सकते हैं. हाईकोर्ट ने याचिका को मंजूर करते हुए याचिकाकर्ता को एक माह के अंदर ड्यूटी ज्वॉइन कराने के आदेश जारी किए हैं.

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