कोरोना से मौत के बाद सामने आया लूट का सच, वसूले जा रहे मनचाहे पैसे

पटना: राजधानी पटना में स्थित AIIMS में कोरोना के मरीजों के साथ उपचार के बीच बेपरवाही के वीडियो और तस्वीर हर रोज देखने को मिलते हैं. अब कुछ लोगों ने इलज़ाम लगाया है कि जिन लोगों की कोरोना से जाने जा रही है, उन्हें हॉस्पिटल प्रशासन और स्थानीय नगर निगम यूं ही छोड़ दे रहे  है. उनके दाह संस्कार के लिए कोई उचित बंदोबस्त नहीं है. जहां पटना AIIMS में कोरोना पॉजिटिव अपने पिता का उपचार करवा रही एक लड़की ने इलज़ाम लगाया है कि जब उसके पिता की उपचार के दौरान मौत हो गई तो उनके शव को ले जाने के लिए कोई भी आगे नहीं आया. लड़की ने यह भी बताया है कि पटना के बांस घाट पर शवदाह वाली मशीन बिगड़ गई थी, वहां हमें 14 हजार रुपये में लकड़ी खरीदनी पड़ी और 8 हजार रुपये अलग से देने पड़े.

बिना प्रोटोकॉल का पालन किए सौंपे जा रहे शव: बता दें कि पटना AIIMS में  उपचार करवा रहे अरुण मिश्रा की जान कोरोना के कारण से चली गई थी. अरुण मिश्रा की बेटी श्रुति गुप्ता का इलज़ाम है कि कोरोना के पीड़ित की मौत के बाद बड़ी बेपरवाही  बरती जा रही है, और मरने वाले के शव को उनके परिवार को बिना प्रोटोकॉल का पालन किए सौंपा जा रहा है. 

श्मशान घाट पर भी बदइंतजामी:  मरने वाले अरुण मिश्रा की बेटी ने बताया कि, "मेरे पिता अरुण कुमार मिश्रा 10 दिनों से पटना के AIIMS में हॉस्पिटल में एडमिट थे लेकिन उनकी जान 17 जुलाई को चली गई, 9 जुलाई को जब वो भर्ती थे तो हॉस्पिटल प्रशासन ने किसी को नहीं मिलने नहीं दिया. हमें कहा गया कि आपलोग भी कोरोना से संक्रमित हो जाओगे. उनकी मृत्यु के बाद बताया गया कि अंतिम संस्कार के लिए सरकार की ओर से पूरा बंदोबस्त किया गया है. आपको शव छूना नहीं है, लेकिन श्मशान घाट पर सिर्फ कोई भी इंतज़ाम नहीं था.

लकड़ी के लिए 14 हजार रुपये, 8 हजार का खर्च अलग: पटना के बांस घाट पर एक नोडल अफसर था, जिसने हम लोगों को 2 पीपीई किट दी. उस वक्त शव जलाने वाली मशीन भी बिगड़ी हुई थी. मजबूरी में हम लोगों ने मिलकर शव का दाह संस्कार किया. लड़की का इलज़ाम है कि लकड़ी के लिए 14 हजार रुपये मनमाने तरीके से वसूले जा रहे थे.  और 8 हजार अलग से खर्च माँगा गया.

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