मुस्लिम महिला ने क़ुरान जलाई, इलज़ाम लगा अशोक पर.., सर तन से जुदा करने पहुंचे कट्टरपंथी

इस्लामाबाद: 1947 में भारत से अलग होकर मुस्लिम देश बना पाकिस्तान अब इतना कट्टर हो गया है, कि वहां गैर-मुस्लिमों का जीना भी मुश्किल हो गया है। वहां आए दिन अल्पसंख्यकों (हिन्दुओं-सिखों) पर अत्याचार की खबरें आती रहती हैं। ताजा मामला जो सामने आया है, उसे जानने के बाद आप भी सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि क्या कोई ऐसा भी कर सकता है। दरअसल, पाकिस्तान के हैदराबाद में एक हिंदू युवक पर कुरान का अपमान करने का इल्जाम लगाकर उसका 'सिर कलम' करने की माँग की जा रही है। इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमे हिन्दू युवक के घर के बाहर सैंकड़ों की संख्या में खड़े कट्टरपंथी ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगा रहे हैं। ये भीड़ युवक के घर में घुसकर उसकी हत्या करने की माँग कर रही है और पुलिस से कह रही है कि वो हिंदू युवक को भीड़ को सौंप दे।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंदू युवक की शिनाख्त अशोक कुमार के रूप में की गई है। वह हैदराबाद के सदर में राबिया सेंटर पर बतौर सफाईकर्मी कार्यरत है। पुलिस ने अशोक पर ईशनिंदा कानून की धारा 295 बी के तहत मामला दर्ज किया है। शिकायतकर्ता बिलाल अब्बासी है, जो एक दूकान चलाता है। अब्बासी ने ही पुलिस को शिकायत दी है कि सफाईकर्मी अशोक ने कुरान का अनादर किया है। इसके बाद पुलिस सफाईकर्मी को गिरफ्तार करने के लिए उसके घर गई, किन्तु, तब सैंकड़ों लोग सड़कों पर जमा हो गए। इन लोगों की माँग थी कि बस अशोक को उनके हवाले कर दिया जाए। भीड़ 'सर तन से जुदा' के नारे भी लगा रही थी।

 

हैदराबाद में हालात बिगड़ने के बाद पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठी चार्ज किया और आँसू गैस भी छोड़े। मगर, कट्टरपंथियों की भीड़ तितर-बितर होकर भी अशोक का सिर कलम करने की माँग करती रही। इसके बाद पुलिस ने अशोक को अरेस्ट कर लिया। बताया जा रहा है कि असल में एक मुस्लिम महिला द्वारा कुरान की प्रति जलाई गई थी, अशोक की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। लेकिन,  हिंदू सफाईकर्मी से बिलाल अब्बासी की पहले से कोई रंजिश थी। इसी वजह से अब्बासी ने अशोक पर ईशनिंदा जैसा संगीन आरोप लगाकर  उसे और उसके पूरे परिवार की जिंदगी खतरे में डाल दी।

बता दें कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर जुल्म करने का एक तरीका यह भी है कि उन पर ईशनिंदा का आरोप लगा दिया जाए। इसके बाद कट्टरपंथियों पर है, की वो अल्पसंख्यकों के साथ क्या करते हैं। कुछ को बेरहमी से सड़क पर ही मार डाला जाता है, तो कुछ लोगों को कोर्ट जाने के बावजूद जज द्वारा सजा- ए-मौत दे दी जाती है। सेंटर फॉर रिसर्च एंड सेक्योरिटीस स्टडीज जैसा थिंकटैंक बताता है कि पाकिस्तान में 1947 से लेकर अब तक 1415 ईशनिंदा के केस दर्ज किए गए हैं। जिनमे 18 महिलाएँ और 71 आदमियों को कानून द्वारा मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि, असली आंकड़ा इससे कही अधिक हो सकता है। पाकिस्तान में ईशनिंदा के अतिरिक्त अपहरण, बलात्कार, हत्या, धर्मांतरण  जैसे तरीकों से भी अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता है। लेकिन, इन अल्पसंख्यकों की पीड़ा, बहरे हो चुके मानवाधिकार संगठनों तक नहीं पहुँचती। 

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