अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए इस सेक्टर की रहेगी महत्वपूर्ण भूमिका

कोरोना के चलते सूस्त अ​र्थव्यवस्था में ऊर्जा का नया संचार करने के लिए सरकार की तरफ से तीन दिनों में करीब 11 लाख करोड़ रुपये की योजनाओं का एलान किया जा चुका है. लेकिन इसका आम बजट 2020-21 को लेकर सरकार के गणित पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. अभी तक की गणना के मुताबिक कोविड- 19 से देश की इकोनोमी को बचाने के लिए जितनी घोषणाएं की गई हैं, उससे आम बजट पर मुश्किल से 1.6 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. वित्त मंत्री ने कुल 35 घोषणाएं की हैं जिनमें से 11 सिर्फ वित्तीय संसाधन जुटाने से जुड़ी हुई हैं. करीब दर्जनभर योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी बैंकिंग सेक्टर को निभानी होगी.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वित्त मंत्री की ओर से घोषित कम-से-कम 10 योजनाएं ऐसी हैं, जिनके बारे में पहले ही बजट में एलान भी किया गया है और उनके मद में प्रावधान भी है. वित्त मंत्री ने पहले दिन 15 योजनाओं का एलान किया था. इनमें से पांच सुधार संबंधी नीतिगत घोषणाएं थीं, जबकि 10 घोषणाओं के जरिये सीधे या परोक्ष तौर पर वित्तीय राहत देने की बात थी. इन 10 घोषणाओं का कुल वित्तीय आकार 5,94,250 करोड़ रुपये था. इसमें सिर्फ 2,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ सरकार को उठाना पड़ेगा, क्योंकि कर्मचारियों व नियोक्ताओं के ईपीएफ में तीन महीने के योगदान के लिए प्रावधान करने होंगे.

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इसके अलावा दूसरे दिन यानी गुरुवार को वित्त मंत्री ने कुल नौ घोषणाएं कीं. इनमें से सात घोषणाएं वित्तीय असर को लेकर थीं. वैसे तो इनका कुल आकार 3.16 लाख करोड़ रुपये का था, लेकिन इसका बजट पर 25,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. तीसरे दिन यानी शुक्रवार को वित्त मंत्री ने 11 एलान किए हैं, जिनका वित्तीय आकार 1.65 हजार करोड़ रुपये का है. किसानों के कल्याण व कृषि से जुड़ी इनमें से कई योजनाएं पहले ही बजट में घोषित की जा चुकी हैं.

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