अब यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ पाएंगी लड़कियां., इस्लामी कानून के मुताबिक तालिबान का एक और फरमान

काबुल: अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के तहत महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता पर लगातार हमले हो रहे हैं। इसी क्रम में अफगानिस्तान में लड़कियों के अब प्राइवेट और पब्लिक यूनिवर्सिटीज में पढ़ने पर बंदिश लगा दी गई है। तालिबान सरकार के एक प्रवक्ता ने मंगलवार (20 दिसंबर) को कहा है कि यह आदेश पूरे देश में तत्काल प्रभाव से लागू हो रहा है। तालिबान सरकार की तरफ से हुई एक बैठक के बाद इस फैसले का ऐलान किया गया।

हाई एजुकेशन मिनिस्ट्री के प्रवक्ता जियाउल्लाह हाशमी की तरफ से शेयर किए गए पत्र में इस नए फरमान के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसमें प्राइवेट और पब्लिक यूनिवर्सिटी को प्रतिबंध जल्द से जल्द लागू करने और पाबंदियां लगाने के बाद मंत्रालय को सूचित करने के लिए कहा गया है। हाशमी ने अपने पत्र को ट्विटर पर भी साझा किया और एसोसिएटेड प्रेस को एक मैसेज में इस कंटेंट की पुष्टि भी की है। बता दें कि, अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान सरकार द्वारा आरंभ में महिलाओं और अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर ज्यादा उदार रहने का वादा किया गया था। हालांकि, ऐसा होता तो नज़र नहीं आ रहा है। तालिबानियों ने व्यापक रूप से इस्लामी कानून 'शरिया' की अपनी कठोर व्याख्या को लागू किया है। अफगानिस्तान में महिलाओं को रोजगार के अधिकतर सेक्टर्स से दूर कर दिया गया है। उन्हें सार्वजनिक रूप से सिर से पैर तक के कपड़े पहनने का फरमान है। साथ ही महिलाओं के पार्क और जिम में जाने पर भी रोक लगा दी गई है।

बता दें कि, अफगानिस्तान में कब्जा करने के बाद से ही तालिबान कई ऐसे आदेशों को लेकर सुर्खियों में रहा जो उसके पुराने रंग को दिखाता है। नौकरी करने वाले पुरुषों के लिए सिर पर टोपी, दाढ़ी और टखने से ऊपर पेंट पहनना अनिवार्य किया जा चुका है। तालिबान के सर्वोच्च नेता ने आदेश दिया कि महिलाओं के लिए सार्वजनिक रूप से बुर्का पहनना जरूरी होगा। इससे पहले स्कूलों में पुरुषों और महिला विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग कक्षाएं पहले ही शामिल हैं। तालिबान की सोच है कि स्कूल में महिला और पुरुष छात्र एक-दूसरे को न देख सके, क्योंकि इससे पढ़ाई में बाधा पड़ती है।

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