किसानों के बाद अब आम लोग कर रहे आत्महत्या, जानें क्या है पूरी वजह

नई दिल्ली:आज के समय में बढ़ रहे अपराध और घटनाओं के किस्से लोगों के लिए एक तरफ तो सबक का काम कर रहे है तो वहीं एक तरफ लोगों को बुरी राह कि और ले जा रहे है हर दिन हम कोई न कोई ऐसा मामला सुनते ही है जो अक्सर हमारे दिल और दिमाग को पूरी तरह से हिला देता है वहीं एक के बाद एक हादसे थमने कि वजह बढ़ते ही जा रहे है, हाल ही में देश में आत्महत्या की बात आते ही किसानों का जिक्र सबसे पहले आता है. मगर एनसीआरबी की रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. वर्ष 2018 में आत्महत्या करने वालों में किसानों से ज्यादा बेरोजगार और स्वरोजगार लोग शामिल हैं.  आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में औसतन 35 बेरोजगारों और 36 स्वरोजगार लोगों ने हर रोज आत्महत्या की. इस साल सिर्फ इन दो श्रेणियों में 26,085 मामले खुदकुशी के दर्ज किए गए. 

सूत्रों से मिली जानकारी के नौसार इस बात का पता चा है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार 13,149 स्वरोजगार करने वालों और 12,936 बेरोजगारों ने अपनी जान दे दी. जबकि इसी दौरान 10,349 किसानों ने खुदकुशी की. यह कुल संख्या में क्रमश: 9.8 फीसदी और 9.6 प्रतिशत है. 

आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी: आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि वर्ष 2018 में देश में कुल आत्महत्या के मामलों की बात करें तो 1 लाख 34 हजार 516 लोगों ने इस दौरान खुदकुशी की. यह संख्या साल 2017 की तुलना में 3.6 प्रतिशत ज्यादा है. प्रति लाख जनसंख्या में मृत्यु दर में भी 0.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई. 

घरेलू महिलाओं के जान देने की संख्या भी बढ़ रही:  वहीं जब इस बात कि जांच कि गई तो पता चला कि  एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू महिलाओं (हाउसवाइफ) में आत्महत्या करने की प्रवृति बढ़ती जा रही है. साल 2018 में 42,391 महिलाओं ने अपनी जान दी, जिनमें से 54.1 प्रतिशत यानी 22,937 गृहणी थीं. 

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