ये चार भाई हैं आज के श्रवण कुमार

हम सभी ने कहानी में, किताबों में, पुराणों में श्रवण कुमार का नाम तो सुना ही है. श्रवण कुमार की कहानियां हम सभी ने सुनी है क्योंकि वह एक बहुत ही आदर्श व्यक्ति थे और उन्होंने शुरू से अपने माता-पिता की सेवा की थी. श्रवण कुमार का नाम आदर्श संतानों में गिना जाता है और आज भी लोग अपने बच्चों को उनके जैसा बनाने की सलाह देते हैं. आप सभी को याद ही होगा कि श्रवण कुमार वही थे जो अपने दृष्टिहीन माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर तीर्थ यात्रा पर निकले थे और उसी दौरान राजा दशरथ ने उन्हें हिरन समझकर उनपर बाण चला दिया था जिससे उनकी मौत हो गई थी और उसके बाद राजा दशरथ को इसके लिए श्रवण कुमार के माता-पिता ने श्राप भी दिया था. श्रवण कुमार जैसे आदर्श बच्चे आज के समय में मिलना मुश्किल है लेकिन फिर भी हमने उन्हें खोज निकाला.

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जी दरअसल हम बात कर रहे हैं हरियाणा के उन बेटों की जो अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार की कांवड़ यात्रा पर निकल पड़े हैं. यह चार बेटे हैं जो पलवल के रहने वाले हैं और यह चारों ही अपने माता-पिता को काँधे पर बैठाकर कांवड़ यात्रा पर निकले हैं. उनके साथ ही गाँव के 32 लोग भी कांवड़ यात्रा में निकले हैं. इस यात्रा को देखकर सभी हैरान रह गए और सभी ने चारों बेटों की तारीफें भी की. खबरों की मानें तो उन चारों का मानना है कि उनके आस-पास रहने वाले लोग अपने माता-पिता से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं इसी वजह से वह सभी को इस बात की सिख देना चाहते हैं कि माता-पिता की इज्जत करनी चाहिए और उनकी हर समस्या में उनके साथ रहना चाहिए. चारों समाज में बदलाव लाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. आपको बता दें कि पिछले साल भी इन चारों भाइयों ने ऐसा किया था और इस बार इन चारों के साथ ही और भी ऐसे बच्चे थे जिन्होंने ऐसा किया.

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