15 जून को है मिथुन संक्रांति का पर्व, निरोग रहने और धन वृद्धि के लिए पढ़े सूर्य स्तोत्र

15 जून 2021 मंगलवार को मिथुन संक्रांति का पर्व मनाया जाने वाला है। ऐसे में इस बार सूर्य मिथुन संक्रांति है और इस दिन सूर्य स्तोत्र का पाठ कर आप सूर्य देव को खुश कर स्वस्थ रहने का वरदान मांग सकते हैं। अब हम आपको बताने जा रहे हैं सूर्य स्तोत्र वह भी अर्थसहित।

सूर्य स्तोत्र- विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः। लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥ लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा। तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥ गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः। एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥

अर्थ- 'विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत- इस प्रकार इक्कीस नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सदा प्रिय है।' (ब्रह्म पुराण : 31।31-33)

कहा जाता है यह शरीर को निरोग बनाने वाला, धन की वृद्धि करने वाला और यश फैलाने वाला स्तोत्र है। कहते हैं इसकी तीनों लोकों में प्रसिद्धि है और जो सूर्य के उदय और अस्तकाल में दोनों संध्याओं के समय इस स्तोत्र के द्वारा भगवान सूर्य की स्तुति करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है।

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