मैरी कॉम का जीवन रहा ​खास, भारत को जीतवाए कई मेडल

आज यानी 1 मार्च को मैरी कॉम अपना जन्मदिन मना रही है. इस खास मौके पर उनके जीवन से जुड़ी अहम जानकारी आपको देने जा रहे है. भारत लोकप्रिय  किसी परिचय की मोहताज नहीं है. महिला मुक्केबाजी की दुनिया में मैरी कॉम भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में धूम मचा चुकी हैं. उन्होंने अपनी लगन और कठिन परिश्रम से यह साबित कर दिया कि प्रतिभा का अमीरी और गरीबी से कोई संबंध नहीं होता और अगर आपके अन्दर कुछ करने का जज्बा है तो, सफलता हर हाल में आपके कदम चूमती है. पांच बार ‍विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी मैरी कॉम अकेली ऐसी महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने अपनी सभी 6 विश्व प्रतियोगिताओं में पदक जीता है. 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनीं. आइए जानते है पूरी जानकारी​ विस्तार से 

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अगर बात करें निजी जीवन की तो मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में हुआ. उनके पिता एक गरीब किसान थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल (कक्षा 6 तक) और सेंट जेविएर स्कूल (कक्षा 8 तक) में हुई. इसके बाद उन्होंने कक्षा 9 और 10 की पढाई के लिए इम्फाल के आदिमजाति हाई स्कूल में दाखिला लिया लेकिन वह मैट्रिकुलेशन की परीक्षा पास नहीं कर सकीं.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मैट्रिकुलेशन की परीक्षा में दोबारा बैठने का उनका विचार नहीं था इसलिए उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और आगे की पढाई ‘नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओपन स्कूलिंग’ (NIOS), इम्फाल, से की. उन्होंने अपना स्नातक चुराचांदपुर कॉलेज से पूरा किया.उनको खेल-कूद का शौक बचपन से ही था और उनके ही प्रदेश के मुक्केबाज डिंग्को सिंह की सफलता ने उन्हें मुक्केबाज बनने के लिए और प्रोत्साहित कर दिया. उन्होंने अपनी ट्रेनिंग की शुरुआत मणिपुर राज्य के बॉक्सिंग कोच नरजीत सिंह की देख-रेख में मणिपुर की राजधानी इम्प्फाल में शुरू कर दिया.

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मुक्केबाजी करियर और सफलताएं एक बार बॉक्सिंग रिंग में उतरने का फैसला करने के बाद मैरी कॉम ने कभी-भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक महिला होने के नाते उनका सफर और भी मुश्किल था पर उनका हौसला भी फौलाद का बना है – एक बार जो ठान लिया वो कर के दिखाना है. राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप के अलावा मैरी कॉम अकेली ऐसी महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने अपनी सभी 6 विश्व प्रतियोगिताओं में पदक जीता है. एशियन महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता में उन्होंने 5 स्वर्ण और एक रजत पदक जीता है, महिला विश्व वयस्क मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में भी उन्होंने 5 स्वर्ण और एक रजत पदक जीता है, एशियाई खेलों में मैरी ने 2 रजत और 1 स्वर्ण पदक जीता है. 2012 के लन्दन ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीत कर उन्होंने देश का नाम ऊंचा किया. इसके अलावा मैरी ने इंडोर एशियन खेलों और एशियन मुक्केबाजी प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक जीता है.

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