साबरमती आश्रम के पुनर्विकास पर 'बापू' के परपोते को आपत्ति..., 1 अप्रैल को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: गुजरात के साबरमती आश्रम के पुनर्विकास को रोकने की महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय एक अप्रैल को सुनवाई करेगी. मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस सी टी रविकुमार की बेंच ने शुक्रवार को याचिकाकर्ता के वकील इंदिरा जयसिंह की शीघ्र सुनवाई की याचिका मंजूर करते हुए यह आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के सामने वकील जयसिंह ने कहा कि, 'निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा इसलिए इस मामले में वर्चुअल सुनवाई की आवश्यकता है.

याचिका में कहा गया है कि जिस प्रकार से गुजरात सरकार की पुनर्विकास योजना बनाई गई है, उससे आश्रम के प्राचीन स्वरूप पर विपरीत असर पड़ेगा. आश्रम की पवित्रता और सादगी प्रभावित हो सकती है. महात्मा गांधी के परपोते ने गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की थी. उच्च न्यायालय ने 25 नवंबर 2021 को तुषार की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया था. राज्य सरकार ने अदालत में आश्वासन दिया था कि वह मुख्य आश्रम के एक एकड़ क्षेत्र में तीन प्रमुख आकर्षणों को नहीं छूएगी. उच्च न्यायालय ने कहा था कि सरकार ने आश्वासन दिया है एक एकड़ क्षेत्र में बने मौजूदा आश्रम में कोई बदलाव नहीं जाएगा और इसे यथावत बनाए रखा जाएगा. इस तरह याचिकाकर्ता के सभी डर और आशंकाएं निराधार हैं.

बता दें कि गुजरात सरकार 54 एकड़ में फैले साबरमती आश्रम और इसके आस-पास स्थित 48 हेरिटेज प्रॉपर्टी को विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहती है. महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने गुजरात सरकार की 1200 करोड़ रुपये की गांधी आश्रम मेमोरियल व प्रेसिंक्ट डेवलपमेंट प्रॉजेक्ट को चुनौती दी है.  

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