कृष्ण नदी जल विवाद: आंध्र प्रदेश की याचिका से CJI ने खुद को किया अलग

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एन वी रमन्ना ने बुधवार को खुद को आंध्र प्रदेश की उस याचिका पर सुनवाई से अलग कर लिया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि तेलंगाना ने उसे कृष्णा नदी से पेयजल और सिंचाई के पानी के उसके वैध हिस्से से वंचित कर दिया है. अदालत ने आंध्र प्रदेश की तरफ से पेश हुए वकील की उन दलीलों पर गौर किया कि राज्य मध्यस्थता का विकल्प चुनने के बजाय सर्वोच्च न्यायालय की बेंच द्वारा इस मामले पर फैसला चाहता है. पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे.

इसपर CJI ने आदेश दिया कि, ‘फिर इस मामले को किसी और बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करिए.’ केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यदि CJI के नेतृत्व वाली पीठ आंध्र प्रदेश की याचिका पर सुनवाई करती है, तो केंद्र सरकार को कोई आपत्ति नहीं है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को अपने विवादों का समाधान करने के लिए ‘मध्यस्थता’ का सुझाव देते हुए कहा था कि वह ‘अनावश्यक’ रूप से दखल नहीं करना चाहता.

आंध्र प्रदेश से संबंध रखने वाले CJI ने दो अगस्त को कहा था कि, ‘मैं कानूनी रूप से इस मामले पर सुनवाई नहीं करना चाहता. मेरा ताल्लुक दोनों राज्यों से है. यदि यह मामला मध्यस्थता से हल होता है तो कृपया ऐसा करिए. हम उसमें सहायता कर सकते हैं. वरना मैं इसे दूसरी पीठ के पास भेज दूंगा.’

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