केजरीवाल सरकार का फैसला- 'प्राइवेट डॉक्टर्स को नहीं देंगे कोरोना संबंधित मुआवज़ा ..', हाई कोर्ट पहुंचा मामला

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार के उस फैसले की वैधता और संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया है, जिसमें डॉक्टरों के परिवार वालों से संबंधित मुआवजे की नीति से प्राइवेट डॉक्टरों को बाहर करने का फैसला लिया गया था, जिनकी महामारी के दौरान अपनी ड्यूटी करते हुए कोरोना महामारी (COVID-19) की वजह से मौत हो गई थी।

न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव ने दिल्ली सरकार और याचिकाकर्ता के वकीलों के तर्क सुनने के बाद मामले को स्थगित कर दिया। दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा कि पीड़ित, जो एक डॉक्टर है, इस मामले में 85 वर्ष के थे और अपना प्राइवेट क्लीनिक चला रहे थे। उन्हें दिल्ली सरकार द्वारा COVID-19 ड्यूटी के लिए न तो काम सौंपा गया था और न ही पैनल में शामिल किया गया था। वह योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं। दूसरी तरफ, वकील अशोक अग्रवाल ने बताया कि प्राइवेट डॉक्टरों से संबंधित मामला उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत की डिविजन बेंच के समक्ष विचाराधीन है। इसके बाद अदालत ने उन याचिकाओं के निपटारे तक मामले को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने प्राइवेट डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को 'कोरोना वॉरियर्स' (Corona Warriors) के परिवार वालों को 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता की नीति से बाहर कर दिया था, जिनकी COVID-19 ड्यूटी का पालन करते हुए कोरोना वायरस के चलते मौत हो गई थी।

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