'वन्दे मातरम् बोलने की इजाजत नहीं देता इस्लाम, हम अल्लाह के अलावा अपनी माँ को भी सर नहीं झुकाते..', - सपा नेता अबू आज़मी

मुंबई: महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबू आजमी ने देश के राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ को लेकर विवादित बयान दिया है। महाराष्ट्र के विधानसभा सदन में उन्होंने ‘वन्दे मातरम्’ कहने से साफ़ मना कर दिया, जिसके बाद वहां हंगामा मच गया। सपा नेता ने दावा करते हुए कहा कि उनका मजहब इस्लाम इसकी अनुमति नहीं देता है। बाद में अबू आजमी ने सोशल मीडिया पर वीडियो डालते हुए इसे सही साबित करने का भी प्रयास किया और अपनी हरकतों का बचाव किया।

सपा नेता अबू आज़मी ने महाराष्ट्र विधानसभा में कहा कि, 'हम दुनिया में किसी के सामने भी सर नहीं झुका सकते। हम ‘वन्दे मातरम्’ नहीं पढ़ सकते, क्योंकि हम केवल एक अल्लाह को मानते हैं। हम विश्व में किसी के सामने भी सर नहीं झुका सकते, यहाँ तक कि हम माँ के सामने भी सर नहीं झुकाते।' दरअसल, अबू आजमी ने श्रद्धा वॉकर हत्याकांड पर बात करते हुए उसके कातिल आफताब अमिन पूनावाला के खिलाफ महाराष्ट्र के जिलों में हुए विरोध प्रदर्शन पर आपत्ति जाहिर की।

 

इसी दौरान सपा नेता ‘वन्दे मातरम्’ को लेकर कहा कि हमारा मजहब इस्लाम, इसकी इजाजत नहीं देता कि हम ‘वन्दे मातरम्’ बोलें। अबू आजमी ने कहा कि, 'नारा लगाया गया कि इस देश में रहना है तो ‘वन्दे मातरम्’ कहना होगा। ये औरंगाबाद स्थित राम मंदिर के पास की घटना है। वहाँ दोबारा 15-20 लोग जुटे और नारे लगाने लगे।' सपा नेता ने महाराष्ट्र पुलिस पर एक मुस्लिम व्यक्ति की हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि हिन्दुओं के प्रदर्शन की वजह से ही पूरे महाराष्ट्र में दंगे भड़के।

सपा नेता ने आगे कहा कि इस्लाम सिखाता है कि सर केवल उसी के आगे झुकाओ, जिसने ये सारा जहान बनाया है। अबू आज़मी ने महाराष्ट्र सरकार पर मुस्लिमों पर एकतरफा कार्रवाई करने का इल्जाम लगाया। उन्होंने कहा कि बेकसूर लोगों को मारा जा रहा है और पुलिस जाँच तक नहीं कर रही थी। सदन से बाहर कर उन्होंने कहा कि उनके मजहब में कहा गया है कि केवल उस अल्लाह के सामने सर झुकाओ, जिसने जमीन-आसमान-सूरज-चाँद-इंसान बनाया। उन्होंने दावा किया कि ये अधिकार सर्वोच्च न्यायालय से उन्हें हासिल है।

बता दें कि, असदुद्दीन ओवैसी, अबू आज़मी जैसे मुस्लिम नेता अक्सर वन्दे मातरम्’ और भारत माता की जय बोलने पर टिप्पणी करते हुए यह कह चुके हैं कि, वे अल्लाह के अलावा किसी और की जय नहीं बोल सकते, क्योंकि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये है कि, यही नेता दलित वोटर्स को अपने साथ जोड़ने के लिए 'जय भीम' जरूर बोल देते हैं। यहाँ भी इस नारे का मतलब संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर की जय से ही है, लेकिन दलित वोट बैंक को अपने साथ बनाए रखने के लिए नेता इसका इस्तेमाल करने से नहीं हिचकते, किन्तु ‘वन्दे मातरम्’ और भारत माता की जय उनके लिए इस्लाम विरोधी हो जाता है।

हालाँकि, यह भी सत्य है कि, 1947 में भी जोगेंद्रनाथ मंडल के नेतृत्व में लाखों दलितों ने पाकिस्तान बनाने में मुस्लिम लीग का साथ दिया था और भारत छोड़कर वहां चले गए थे। जोगेंद्रनाथ मंडल ने पाकिस्तान का संविधान लिखा, वहां के पहले कानून मंत्री बने, लेकिन जल्द ही उनके सर से इस तथाकथित एकता का भूत उतर गया और इस्लामी मुल्क पाकिस्तान में दलितों पर होते ​अत्याचारों को देखकर वे खुद 1950 में भागकर भारत आ गए और लाखों दलितों को प्रताड़ना सहने के लिए वहीं छोड़ आए। बाबा साहेब आंबेडकर ने भी उस समय मंडल को काफी समझाया था कि, मुस्लिम लीग पर भरोसा न करे, लेकिन मंडल नहीं माने और आज स्थिति ये है कि, पाकिस्तान से जितने लोग पलायन कर भारत आते हैं, उनमे से अधिकतर दलित ही होते हैं। आज भी कुछ नेता मीम-भीम एकता के दावे करते हैं, वहीं दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर में 370 वापस लागू करने की मांग भी करते हैं, ये वही 370 है, जिसने दलितों को 70 वर्षों तक छला है। देश के अन्य हिस्सों में जहाँ दलित, आरक्षण की मदद से पढ़-लिखकर उच्च पदों पर पहुंचे, वहीं कश्मीर में 370 के कारण दलितों के भाग्य में केवल मैला उठाना ही लिखा था, चाहे वो कितना भी पढ़ लें। ऐसे में यह सवाल उठता है कि, दलितों के साथ अन्याय करने वाले अनुच्छेद 370 को वापस लागू करने की मांग करने वाले दलित हितैषी कैसे हो सकते हैं ?

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