स्वतंत्रता दिवस का नाम सुनते ही हर किसी के कानों में भारत से संबंधित नारे गूंजने लगते हैं. हमारे देश को आजाद कराने में अनेकों वीरों के साथ ही नारों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है. ये शब्द ही रहे हैं जो करोड़ों भारतीयों के दिलों में आजादी की ज्वाला को पैदा कर गए. जब नारे कान से होते हुए दिलों में समाए तो हिंदुस्तानियों की सोच बदलने लगी उन्हें बस अब अंग्रेजी बेड़ियों से आजाद होना था, अंग्रेजों को खदेड़ना था, अंग्रेज जहां से आए थे उन्हें पुनः वहीं पहुंचाना भारतीयों का अहम उद्देश्य बन गया था. कलम से कागज, कागज से आंखों, आंखों से कानों और फिर कानों से होते हुए जब नारे हम भारतीयों के दिल में उतरे तो हमारा मन पूर्णतः बदल चुका था. समय-समय पर नारे हम भारतीयों में आजादी के लिए नया जोश भरते रहे. आख़िरकार 200 से अधिक वर्षों की गुलामी के बाद वो दिन आया जब हम 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत की गुलामी से स्वतंत्र हुए. जिस तरह पंछी पिंजरे से आजाद होने के बाद चैन की सांस लेते हैं, ठीक यहीं सब कुछ भारतीयों ने भी इस दिन महसूस किया था. अनेकों वीर जहां माँ भारती के लिए अपने प्राण त्याग कर जहां अमर हो गए तो वहीं नारे भी सदा-सदा के लिए अमरगाथा में शामिल हो गए. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ सुप्रसिद्ध नारों के बारे में... सुप्रसिद्ध नारे... - भारत माता की जय - इन्कलाब जिंदाबाद - स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है - जय हिन्द, जय भारत. - तुम मुझे खून दो, मै तुम्हे आजादी दूंगा. - विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊचा रहे हमारा. - वन्दे मातरम - सारे जहा से अच्छा, ये हिंदुस्तान हमारा. - अंग्रेजो भारत छोड़ो. - आओ हम सब मिलकर आजादी का पर्व मनाए. - आजादी के इस पर्व से पूरे विश्व में भारत की एक अलग पहचान बनाए. - शहीदों के सम्मान से इस आजादी की अलख जगाना है. - शहीदों को कभी नही भूल सकते, चलो ऐसी कसमें खाते है. - अगर स्वतंत्रता दिवस मनाना है, तो सबसे पहले शहीदों के सम्मान के अलख दीप जगाना है. - गूंज उठता है ये चमन हमारा, जब लगता है वन्दे मातरम का नारा. स्वतन्त्रता दिवस किस तरह मनाया जाता है ? स्वतन्त्रता दिवस : बंकिमचंद्र ने लिखा, टैगोर ने गाया 'वंदे मातरम', जानिए इसका इतिहास स्वतंत्रता दिवस : आजादी से कई वर्ष पहले गाया गया ‘जन गण मन’, ऐसा है इसका इतिहास स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त को ही क्यों मिली आजादी ?