स्वतन्त्रता दिवस : बंकिमचंद्र ने लिखा, टैगोर ने गाया 'वंदे मातरम', जानिए इसका इतिहास
स्वतन्त्रता दिवस : बंकिमचंद्र ने लिखा, टैगोर ने गाया 'वंदे मातरम', जानिए इसका इतिहास
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देश जब अंग्रेजी बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, उस समय 'वंदे मातरम' इन दो शब्दों ने करोड़ों हिंदुस्तानियों के दिलों में आजादी की ज्वाला पैदा कर दी. वंदे मातरम हमारे देश का राष्ट्रीय गीत है. इसे प्रमुख रूप से देश के पहले देशभक्ति गीत के रूप में भी जाना जाता है. जब भी बात भारत की आजादी या भारत के इतिहास की होती है, तो यह राष्ट्रीय गीत एकाएक हमारी आंखों के समक्ष आ जाता है. आइए जानते है इसका इतिहास क्या है ? इस गीत को किसने अपनी कलम से कागज पर उतारा था और किसने इसे पहली बार गाया था ?

राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम का इतिहास 

- बंगाल के कांतल पाडा गांव में बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा इस गीत की रचना 7 नवंबर 1876 को की गई थी. 

- बंकिम चन्द्र चटर्जी के ख्यात उपन्यास ‘आनंद मठ’ में 1882 को इसे शामिल किया गया. 

- सबसे पहले बंगाली शैली में लय के साथ इसे महान लेखक रबीन्द्रनाथ टैगोर ने 1896 में गाया था. खास बात यह है कि रबीन्द्रनाथ टैगोर ने ही भारत के राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' की रचना भी की थी. 

- सबसे पहले वंदे मातरम का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद अरविंद घोष द्वारा किया गया था. 

- वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत का दर्जा 1905 में दिया गाया था. कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में इसे यह दर्जा मिला था.

- जिस समय बंग-भंग आंदोलन चल रहा था, उस समय वंदे मातरम भारत का नारा बना था.

- देवनागरी लिपि में भी इसे पेश किया गया था. कांग्रेस के अधिवेशन में साल 1906 में टैगोर द्वारा इसका संशोधित रूप प्रस्तुत हुआ.

- जहां जन-गण-मन भारत की संविधान सभा द्वारा साल 1950 में भारत का राष्ट्रगान बना तो वहीं साल 1950 में ही भारत की संविधान सभा द्वारा वंदे मातरम को भी भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया था. 

- विश्व का सबसे बड़ा प्रसारण संघ बीबीसी यानी कि ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोंरेशन द्वारा साल 2002 में एक सर्वे किया गया था, जिसमे वंदे मातरम्’ विश्व का दूसरा सबसे अधिक लोकप्रिय गीत साबित हुआ था. 

भारत का राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम'... 

“वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥”

 

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