होली भाईदूज पर जरू पढ़े यह पौराणिक कथा

आप सभी ने बीते कल होली का त्यौहार मनाया होगा। होली के दूसरे दिन होली भाईदूज मनाई जाती है। आज देश के कुछ हिस्सों में इस त्योहार को धूम-धाम से मनाया जा रहा है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं होली भाईदूज की कथा।

पौराणिक कथा- एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी। उसके एक बेटा और एक बेटी थी। बुढ़िया ने अपनी बेटी की शादी कर दी थी। फिर एक दिन बुढ़िया के बेटे ने होली के बाद बहन से तिलक कराने का आग्रह किया । बुढ़िया ने बेटे को इजाजत दे दी। बुढ़िया का बेटा एक जंगल से जा रहा था जहां उसे रास्ते में नदी मिलती है। नदी ने कहा मैं तेरा काल हूं तुझे निगल जाउंगा। लड़के ने कहा पहले मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं फिर मेरी जान ले लेना। इसके बाद रास्ते में एक शेर मिलता है वह यही कहता है। फिर रास्ते में सांप मिलता है। वो सांप से भी यही कहता था। कुछ समय बाद वो अपनी बहन के घर पहुंच जाता है।

बहन से तिलकर कराके दुखी मन से चल देता है जिस पर बहन उससे इसका कारण पूछती है। भाई बहन को सब बात बता देता है। इसके बाद बहन कहती है, रूकों मैं भी चलती हूं। लड़की तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती हैं। जहां वो बुढ़िया को अपनी परेशानी बताती हैं। बुढ़िया कहती है कि ये तेरे भाई के पिछले जन्म का कर्म है जो वो भोग रहा है। उसकी शादी होने तक अगर तु उसे बचा लेगी तो वो बच जाएगा। बहन ने अपने साथ मांस, दूध और ओढ़नी रखे ली। दोनों रास्ते में चले तो शेर मिला। बहन ने शेर के आगे मांस का टुकड़ा रख दिया वो मांस खाने में मस्त हो गया। आगे चलने पर सांप मिला तो बहन ने दूध रख दिया। कुछ दूर चलने पर नदी मिली। बहन ने लाल ओढ़नी चढ़ाकर नमन किया। इस तरह से बहन भाई की जान बचा लेती हैं। मान्यता है कि होली के अगले दिन अगर भाई बहन से तिलक कराता है तो उसके सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं।

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