सरकार की बाहरी देनदारी पहुंची 558 अरब डॉलर के पार

गवर्मेंट पर कुल बाहरी देनदारी इस साल मार्च के अंत में बढ़कर 558.5 अरब डॉलर पर पहुंच चुकी है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, कॉमर्शियल बोरोइंग में उछाल के चलते इस देनदारी में वृद्धि हुई। बीते साल मार्च के आखिर में यह आंकड़ा 543 अरब डॉलर था। इस साल मार्च के अंत में बाहरी देनदारी बढ़कर जीडीपी के 20.6 फीसद पर पहुंच चुकी है, जो बीते साल इसी अवधि में 19.8 फीसद पर थी।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी 'देश का बाहरी कर्ज : स्टेटस रिपोर्ट - 2019-20' में कहा गया है कि बीते साल मार्च आखिर कि तुलना में इस साल सरकार का कर्ज तीन फीसद कम होकर 100.9 अरब डॉलर रहा। इसका मुख्य कारण यह था कि सरकारी सिक्युरिटीज में विदेशी संस्थागत इन्वेस्टमेंट की भागेदारी घटी। रिपोर्ट के अनुसार, कर्ज लेने में गैर-वित्तीय इंस्टीट्यूट सबसे आगे रहीं।

वही शनिवार को सरकार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के मध्य 1.92 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर संग्रह हुआ। यह बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि कि तुलना में 31 फीसद कम है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में बताया कि अप्रैल से अगस्त के दौरान परोक्ष कर संग्रह भी 11 फीसद घटकर 3.42 लाख करोड़ रुपये रहा। साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा कि 2,000 रुपये के नोटों की छपाई बंद करने पर कोई फैसला नहीं हुआ है। ठाकुर ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि डिमांड को देखते हुए सभी नोट की उपलब्धता में संतुलन रखने के लिए रिजर्व बैंक से विमर्श के पश्चात् किसी नोट की छपाई पर सरकार निर्णय करती है। इसी के सतह कई परिवर्तन हुए है। 

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