इस क्रिकेटर की पत्नी को आज भी है 2011 का फाइनल का इन्वाइट का अफ़सोस

भारतीय क्रिकेट आज चाहे जितनी भी बुलंदियों पर हो, लेकिन दो दिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे शब्दों में अंकित हैं एक दिन है 25 जून 1983 का और दूसरा है 2 अप्रैल 2011 का. इन दोनों ही दिनों में भारतीय टीम के हाथ में विश्व चैंपियन का ख़िताब था. लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं 2011 के विश्वकप फाइनल मैच के एक किस्से की, वो किस्सा जो शायद आज तक आपके सामने नहीं आ पाया. 

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दरअसल 2 अप्रैल 2011 को पूरा देश अपना सारा काम-धाम छोड़कर पुरे परिवार के साथ टीवी के सामने बैठा था, क्योंकि इस दिन भारत के पास 28 साल बाद विश्व कप जीतने का मौका जो था. इसी दिन फाइनल मैच देखने के लिए भारतीय टीम का एक क्रिकेटर अपनी मंगेतर को मैच देखने के लिए इन्वाइट करता है, लेकिन बदले में उसे जवाब मिलता है कि ''क्या यह मैच इतना जरुरी है ?'' खैर एक खिलाड़ी होने के नाते तो वह यह समझ सकता था कि यह मैच कितना महत्वपूर्ण है, लेकिन उसने यह समझाने की कोशिश नहीं की.

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मैच शुरू हुआ श्रीलंका के 274 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम के दोनों सलामी बल्लेबाज़ सचिन और सहवाग क्रमशः 18 और 0 बनाकर पवेलियन लौट गए. इसी बीच बल्लेबाज़ी करने आए गौतम गंभीर जिन्होंने 97 रन बनाकर टीम की जीत की नींव रखी, जिस पर चलते-चलते टीम ने 28 साल बाद टीम ने विश्व कप अपने नाम किया. जब टीम इंडिया विश्व फतह करके अपने घर वापिस लौटी, उस समय सारा देश पालक पांवड़े बिछाकर उनकी प्रतीक्षा कर रहा था. तब उस खिलाड़ी की मंगेतर को इस मैच के महत्त्व का पता चला, आज वे दोनों पति-पत्नी है, लेकिन खिलाड़ी की पत्नी को आज भी वह मैच देखने से इंकार करने का अफ़सोस है. वह खिलाड़ी और कोई नहीं गौतम गंभीर ही थे और उस समय उनकी मंगेतर और आज उनकी पत्नी नताशा थी. 

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