यूपी में पहली बार भाजपा की 'ट्रिपल इंजन' सरकार, आखिर कर्नाटक में कहाँ हुई चूक ?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। एक ओर दक्षिणी राज्य में मिली करारी हार ने भाजपा को आत्ममंथन करने पर विवश किया है, तो वहीं दूसरी ओर यूपी ने उसे जरूर राहत की सांस भी दी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी से सभी 80 सीटें जीतने की योजना बनाई है।

ये प्लान तभी सफल हो सकता है, जब भाजपा को मुस्लिमों का भी वोट बड़ी संख्या में मिले। अब निकाय चुनाव के परिणाम बताते हैं कि भाजपा इस डिपार्टमेंट में भी पास हो गई है। भाजपा ने इस बार मुस्लिम प्रत्याशी उतारने का दांव चला था, जो सफल भी रहा है। यूपी में ये ट्रेंड पहली दफा देखने को मिला है कि मेरठ, मुरादाबाद और बरेली जैसे नगर निगमों में भाजपा की शानदार जीत हुई है। इन सभी सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका में रहते हैं, समाजवादी पार्टी (सपा) की भी यहां पर अच्छी-खासी पकड़ है। लेकिन, इस चुनाव में भाजपा ने वो समीकरण भी ध्वस्त कर दिए हैं। 

इस चुनाव में भाजपा ने सिर्फ 17 मेयर नहीं जीते हैं, बल्कि उसने पहली बार यूपी में ट्रिपंल इंजन की सरकार भी बना दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र में भाजपा, राज्य में भाजपा और अब नगर निगम में भी पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा काबिज हो गई है। ऐसे में डबल इंजन अब ट्रिपल इंजन में परिवर्तित हो चुका है। बड़ी बात ये भी है कि जिन मुद्दों को भाजपा कर्नाटक में अच्छे से नहीं उठा पाई, उन्हीं मुद्दों ने यूपी में भाजपा को प्रचंड जीत दिलाई है। असल में यूपी के निकाय चुनाव में राष्ट्रवाद हावी रहा, माफियाओं पर लिए गए एक्शन सुर्ख़ियों में रहा और जनता ने सुरक्षा के मुद्दे को ध्यान में रखकर भी योगी के नाम पर वोट किया। वहीं, कर्नाटक में भाजपा, हर्षा-प्रवीण नेतारु की निर्मम हत्या, हिजाब विवाद का आतंकी कनेक्शन, मंगलौर कुकर ब्लास्ट में कांग्रेस द्वारा आरोपी का बचाव करना, दक्षिण में प्रतिबंधित संगठन PFI का बढ़ना और उसके पोलिटिकल विंग SDPI के साथ कांग्रेस का चुनाव लड़ना, ये कुछ मुद्दे बेहद अहम थे, जिन्हे भाजपा जनता के बीच ले जाने में नाकाम रही। 

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