आँखें फोड़ीं, जीभ काटी, शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर दिया, लेकिन संभाजी से उनका 'धर्म' नहीं छीन पाए मुगल!
आँखें फोड़ीं, जीभ काटी, शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर दिया, लेकिन संभाजी से उनका 'धर्म' नहीं छीन पाए मुगल!
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नई दिल्ली: यूरोप में डेनिस किनकैड़ नाम के एक प्रसिद्ध इतिहासकार हुए हैं, जो अपनी किताब Shivaji: The Grand Rebel में लिखते हैं कि क्रूर मुगल बादशाह औरंगजेब के कारिंदे एक सजीले-गठीले युवक को कई तरह की नारकीय यातनाएं दे रहे थे। मुगल सैनिकों ने उस युवक की जुबान खींच ली थी, उसके शरीर पर भाले चुभाए जा रहे थे, मगर तमाम यातनाओं को सहते हुए भी उसकी भुजाएं रह-रहकर फड़क उठती थीं। वह किसी शेर के शावक की तरह जब-तब गुर्रा पड़ता।

वहीं, औरंगजेब उसे देखकर कभी झल्ला पड़ता, तो कभी उसकी गुर्राहट देखर दंग रह जाता। आखिरकार, औरंगज़ेब के मुंह से भी यह निकल ही गया कि मेरे चार बेटों में एक भी तेरे जैसा होता, तो पूरा हिंदुस्तान कबका मुगलों के आधीन हो गया होता। लेकिन, औरंगज़ेब की सनक उसे अब भी उस युवक को आज़ाद करने की अनुमति नहीं दे रही थी। बादशाह के कारिंदों ने उस युवक को फिर बेरहमी से पीटा। सबसे पहले तो युवक की जीब काट ली गईं और फिर उसे रात भर तड़पने के लिए छोड़ दिया गया। अगले दिन मुगल दरिंदों ने उसकी आँखें फोड़ दी। इस बार औरंगजेब थोड़ा नरम हुआ और उसने युवक को हुक्म दिया इस्लाम कबूल कर लो, तो तुम्हे छोड़ दिया जाएगा।

वह युवक कुछ देर रुका, उसकी आँखों से खून टपक रहा था, उसने इशारा कर कलम-दवात मंगाई और उस पर लिखा कि, यदि बादशाह अपनी बेटी का हाथ भी मेरे हाथों में दे दे, तो भी मैं इस्लाम कबूल नहीं करूंगा। युवक की इस बात से औरंगजेब इतना आगबबूला गया कि उसने उस युवक को तड़पा-तड़पा कर मारने का हुक्म दे दिया। 11 मार्च 1689 को उस युवक के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई। लेकिन, उस शेर के बच्चे ने इंच-इंच कटना स्वीकार किया, पर अपना धर्म नहीं छोड़ा। यह युवक था, वीर क्षत्रपति शिवाजी महाराज का वीर पुत्र संभाजी राजे। उन हिंदरक्षक संभाजी महाराज की आज जयंती है।  गुरु तेगबहादुर, गुरु गोबिंद सिंह, भाई सतीदास-मतिदास, हकीकत राय, नन्हे साहिबजादे, बंदा बहादुर, जैसे असंख्य वीरों को सिर्फ इसलिए अपना बलिदान देना पड़ा, क्योंकि वे अपने धर्म का पालन करना चाहते थे और चाहते थे सभी को ये आज़ादी मिले। लेकिन, हमें क्या, हमारे लिए तो ये सब बातें प्रोपेगेंडा और मनगढंत कहानियां ही है। आजकल मुगलों और आतंकियों की क्रूरता पर बात करने को नफरत फैलाना भी तो कहा जाने लगा है।   

(सोर्स 1: Advanced Study in the History of Modern India 1707-1813 By Jaswant Lal Mehta)
(सोर्स 2: Encyclopaedia of Indian Events & Dates By S B Bhattacherje)
(सोर्स 3: Shivaji: The Grand Rebel Book by Dennis Kincaid)

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