कैबिनेट के गठन में इतनी देर क्यों ? राजस्थान भाजपा से अशोक गहलोत का सवाल

जयपुर: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा शासित राजस्थान में मंत्री पदों के आवंटन में देरी पर सवाल उठाया और दावा किया कि राज्य सरकार के हर विभाग में भ्रम की स्थिति है और उन लोगों में निराशा है जो चुनाव परिणाम आने के 22 दिन बाद भी अपने मंत्रियों को नहीं जानते हैं। 

राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, "निराशा इसलिए है, क्योंकि 3 दिसंबर को राजस्थान की जनता ने बीजेपी को स्पष्ट जनादेश दिया था। लेकिन 22 दिन बाद भी मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका है। इससे सरकारी कामकाज ठप हो गया है। हर विभाग में असमंजस की स्थिति है। लोग नहीं जानते कि अपनी समस्याओं के लिए किसके पास जाएं। मंत्रिमंडल का गठन जल्द से जल्द होना चाहिए ताकि सरकार का काम सुचारू रूप से चल सके।"सीएम गहलोत ने कहा कि उन्हें मीडिया से यह भी जानकारी मिली है कि निजी अस्पताल उनकी सरकार की चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इलाज करने से इनकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, "मौजूदा सरकार को हमारी योजनाओं पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए ताकि लोगों को परेशान न किया जाए। नई योजनाएं लागू होने तक उन्हें हमारी योजनाएं जारी रखनी चाहिए।"

भाजपा ने 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले राजस्थान में पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा को अपना मुख्यमंत्री चुना है। शर्मा ने 12 दिसंबर को दो विधायकों - दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा के साथ पद की शपथ ली थी। अन्य मंत्रियों के नामों की घोषणा अभी बाकी है। सीएम शर्मा ने दिल्ली की दो यात्राएँ की हैं और पता चला है कि मंत्रियों की सूची अंतिम है। भाजपा के सूत्रों ने कहा कि राज्य पार्टी इकाई शपथ ग्रहण कार्यक्रम के लिए आलाकमान की हरी झंडी का इंतजार कर रही है जो अगले दो दिनों में कभी भी हो सकता है। समझा जाता है कि नये मंत्रिमंडल में अनुभवी नेता और पहली बार मंत्री बने दोनों लोग होंगे। राजस्थान में पिछली बीजेपी सरकार में वसुंधरा राजे कैबिनेट के कुछ चेहरों को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। भाजपा सूत्रों ने कहा कि जातिगत समीकरण और लोकसभा चुनाव मंत्रियों के चयन में प्रमुख कारक हैं।

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