उन 'मोहम्मद' की कहानी, उन्ही की जुबानी, जिन्होंने 1976-77 में किया था बाबरी मस्जिद का सर्वे

नई दिल्ली: रामनगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण  कार्य जोरों-शोरों से चल रहा है। कई दशकों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देकर इस विवाद का अंत किया था। हालाँकि, असदुद्दीन ओवैसी जैसे कुछ मुस्लिम नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठा दिए थे और कहा था कि, हम अपने बच्चों को बताएंगे कि वहां बाबरी मस्जिद ही थी। इस बीच उन आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद का बयान गौर करने लायक है, जिन्होंने विवादित स्थल पर मंदिर होने के सबूत खोजे थे। आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद का स्पष्ट कहना है कि बाबरी मस्जिद की खुदाई के दौरान वहां से हिंदू प्रतीकों वाले कई स्तंभ मिले थे। जो बताता है कि बाबरी मस्जिद से पहले वहां पर मंदिर मौजूद था। उन्होंने ये भी बताया कि वो वर्ष 1976 से 1977 के बीच पहली दफा अयोध्या गए थे। आर्कियोलॉजी में उनकी पहली ट्रेनिंग ही अयोध्या में हुई थी।

केके मोहम्मद ने एक इंटरव्यू में आर्कियोलॉजी को लेकर विस्तार से चर्चा की है। इसी दौरान उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर में मिले हिंदू प्रतीकों वाले पिलर्स पर भी बात की और बताया कि किस प्रकार उन्हें मस्जिद में मंदिर होने के कई प्रमाण मिले थे। केके मोहम्मद ने कहा कि, 'जब पुरातत्त्व विभाग की टीम खुदाई के लिए किसी भी परिसर के अंदर जाती है, तो सबसे पहले उसके आसपास के इलाके को देखा जाता है, उसके बाद यह विचार किया जाता है कि इस इलाके में कुछ हो सकता है या नहीं।' मोहम्मद कहते हैं कि, अब वर्ष 1976-77 में टेक्नोलॉजी इतनी विकसित नहीं हो पाई थी। ऐसे में हम लोगों को मस्जिद के भीतर जाना था, मगर उसका ताला बंद था और वहां पर एक पुलिसकर्मी तैनात था।' केके मोहम्मद बताते हैं कि, उस जमाने में ये मुद्दा इतना बड़ा नहीं था। हमने पुलिसकर्मी से कहा कि हम रिसर्च करने आए तो उन्होंने कहा कि आप भीतर चले जाइए।'

केके मोहम्मद ने आगे कहा कि, 'जब हम लोग परिसर के भीतर पहुंचे तो देखा कि मस्जिद के जितने भी पिलर्स थे, वो सभी हिन्दू मंदिर के पिलर्स थे। यानी हिन्दू मंदिरों को तोड़कर उसे ही मस्जिद के पिलर्स के रूप में इस्तेमाल किया गया था।'  ये कैसे पता चला कि ये मस्जिद के नहीं मंदिर के पिलर्स हैं। इस सवाल पर मोहम्मद कहते हैं कि, पुरातत्व विभाग को ये जानकारी होती ही है, कि हम देखकर ही पता लगा लेते हैं कि ये 12वीं शताब्दी का है या ये 15वीं शताब्दी का है। कहने का मतलब ये है कि एक आर्कियोलॉजिस्ट भवन के निर्माण की शैली से मालूम कर सकता है कि वो किस समय का है। इसे हम लोग स्टाइलिस्टिक रेटिंग कहते हैं।' केके मोहम्मद कहते हैं कि, विवादित परिसर के अंदर जाकर देखा कि मंदिर के पिलर्स को मस्जिद में कॉलम की तरह वापस इस्तेमाल कर लिया गया था। उस दौरान वहां पर हिन्दू मंदिर के 12 पिलर्स मिले थे।'

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