अपनी एक्टिंग से अपने किरदार में जान डाल देते थे अमरीश पुरी

बॉलीवुड में अपनी सशक्त आवाज व दमदार अदाकारी के लिए जाने जाते हमारे अमरीश पूरी की आज डेथ एनिवर्सरी है. आपको बात दे की अभिनेता अमरीश पूरी को बॉलीवुड  में एक ऐसे एक्टर के रूप में भी हमेशा से ही याद किया जाता रहा है जो की अपनी कड़क आवाज, रौबदार भाव भंगिमाओं और दमदार अभिनय के बल पर खलनायकी को एक नई पहचान दी। आज उनकी 16वीं पुण्यतिथि है। उनका निधन 12 जनवरी, 2005 को मुंबई में हो गया था। उन्होंने 1967 से 2005 के बीच 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया।    

रंगमंच से फिल्मों के रूपहले पर्दे तक पहुंचे अमरीश ने करीब तीन दशक में लगभग 250 फिल्मों में अभिनय का जौहर दिखाया। आज के दौर में कई कलाकार किसी अभिनय प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण लेकर अभिनय जीवन की शुरुआत करते हैं, जबकि अमरीश खुद अपने आप में चलते फिरते अभिनय प्रशिक्षण संस्था थे। पंजाब के नौशेरां गांव में 22 जून, 1932 में जन्में अमरीश ने अपने कैरियर की शुरुआत श्रम मंत्रालय में नौकरी से की और उसके साथ-साथ सत्यदेव दुबे के नाटकों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। बाद में वह पृथ्वी राज कपूर के 'पृथ्वी थियेटर' में बतौर कलाकार अपनी पहचान बनाने में सफल हुए।

पचास के दशक में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के शिमला से बीए पास करने के बाद मुंबई का रुख किया। उस समय उनके बड़े भाई मदन पुरी हिन्दी फिल्म में बतौर खलनायक अपनी पहचान बना चुके थे। अमरीश पुरी को एक ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी कड़क आवाज और दमदार अभिनय के बल पर खलनायकी को एक नई पहचान दी।  उन्होंने 'कुर्बानी', 'नसीब', 'विधाता', 'हीरो', 'अंधा कानून', 'कुली', 'दुनिया', 'मेरी जंग', 'सल्तनत', 'जंगबाज' जैसी कई सफल फिल्मों के जरिए दर्शकों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई। 1987 में शेखर कपूर की फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में 'मोगैंबो' की भूमिका के जरिए वह दर्शकों के दिलों पर छा गए। इस फिल्म का एक संवाद 'मोगैंबो खुश हुआ' आज भी सिनेमा प्रेमियों के जेहन में ताजा है। 

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