म्यांमार में सेना की गोलिबारी हुई तेज, अब तक 200 से अधिक लोगों की हुई मौत

म्यांमार के तख्तापलट के विरुद्ध जनता ने शनिवार को सेना पर बन रहे इंटरनेशनल दबाव के रूप में और अधिक विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है, ताकि लोकतंत्र समर्थक, समर्थकों के दमन को रोकने में कामयाब हो सकते है।  जंहा इस बात का पता चला है कि एशियाई पड़ोसी देश भी पश्चिमी देशों के साथ मिलकर म्यांमार की सेना की खूब आलोचना की जा रही है। इससे सेना पर दवाब बन रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार  उत्तरी रूबी खनन शहर मोगोक में सैनिकों ने रात भर गोलीबारी की गई, जिसमें दो लोगों की जान चली गई। राजनीतिक कैदियों के लिए सहायक संघ कार्यकर्ता समूह के मुताबिक, फरवरी 1 तख्तापलट से अब तक 237 लोगों की जान चली गई है। वहीं, खून खराबे से भी चुनी हुई गवर्नमेंट को सत्ता से बाहर करने और उसके नेता आंग सान सू की को हिरासत में लेने की लोगों में नाराजगी को शांत नहीं किया है, कुछ विरोध आयोजकों का कहना है कि उन्हें रणनीति के अंतर्गत चलाया जाने वाला है।

दक्षिणी शहर दवई से एक अभियान चलाने वाले Kyaw Min Htike ने रायटर को कहा- 'हम विरोध करते हैं जहां कोई पुलिस या सेना नहीं है, तो जब हम सुनते हैं कि वे आ रहे हैं, तो हम जल्दी से तितर-बितर हो रहे है।' उन्होंने आगे बोला कि मैं अपने साथियों में से एक को भी खोना नहीं चाहता, लेकिन जब तक हमारी क्रांति नहीं होगी तब तक हम किसी भी तरह से विरोध करने वाले है। वहीं अन्य कस्बों में, लोग रात में मोमबत्तियां और विरोध के बैनर के साथ उतर चुके हैं। UN के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने शुक्रवार को सेना की निरंतर क्रूर हिंसा की निंदा की। उनके प्रवक्ता ने कहा कि एक , एकीकृत अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की तत्काल जरुरी है। वहीं, यूएन से जनरलों द्वारा की जा रही निर्मम हत्याओं के लिए उनपर प्रतिबंधों का भी आह्वान किया गया।

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