तो ऑडियंस नहीं अपने लिए फ़िल्में बनाती हैं जोया अख्तर !

'गली बॉय' और 'दिल धड़कने दो' जैसी सफल फिल्मों का निर्देशन कर चुकी जोया अख्तर ने कहा है कि वह ऐसी फिल्में बनाने की कोशिश करती हैं, जिन्हें वह खुद देख सके. जोया के मुताबिक़, "जब मैं छोटी थी तो मेरी एक निश्चित धारणा थी कि सिनेमा में क्या दिखाया जाता है और तब तक मैंने 'सलाम बॉम्बे' नहीं देखी थी और  यही वह परिवर्तन था कि आप जैसा चाहते हैं, वैसा फिल्म के साथ कर सकते हैं और मैं उन फिल्मों को बनाने की कोशिश करती हूं, जिन्हें मैं खुद देख सकती हूं."

जोया अख्तर द्वारा मेलबर्न के भारतीय फिल्म समारोह के दौरान इस पर मुद्दे पर खुलकर चर्चा की गई है और हाल ही में उन्होंने कहा है कि सिल्वर स्क्रीन पर पुरुषों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व पिछले कुछ वर्षो में बदला है.

आगे इस पर बात करते हुए उन्होंने कहा है कि, "हम स्क्रीन पर जो पुरुष देखते हैं, वे बदल गए हैं और उनकी कहानियां और चरित्र आज बहुत ही अलग हो चुके हैं. वहीं विक्की कौशल को 'राजी' में देखें. यह कितनी सुंदर भूमिका थी.इसका श्रेय मेघना को जाता है, क्योंकि उन्होंने इस हिस्से को लिखा है और हम उन पुरुषों को प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें हम बस स्क्रीन पर देखते हैं."

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