कोरोना महामारी के कारण बंद हुए स्कूल तो यहां पर प्रेग्नेंट होने लगीं बच्चियां, बढ़ी चिंता

कोरोना महामारी ने दुनिया भर में भारी हड़कंप मचा रखा है वही कोरोना महामारी के चलते जिम्बाब्वे एवं अन्य दक्षिणी अफ्रीकी देशों में कम आयु की लड़कियों के गर्भधारण में भारी संख्या इजाफा देखा गया है। वर्जीनिया भी उन्हीं लड़कियों में से एक हैं। जिम्बाब्वे काफी वक़्त से कम आयु की लड़कियों के गर्भधारण तथा बाल विवाह से ग्रसित है।

वही कोरोना की चपेट में आने से पहले भी भारत में हर तीन लड़कियों में से एक की शादी 18 वर्ष से पहले कर दी जाती थी। इसकी कई वजह हैं, जैसे- लड़कियों का गर्भवती हो जाना, बाल विवाह को लेकर कानून का सख्त न होना, गरीबी, सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथा। कोरोना महामारी ने इस हालात को और खराब कर दिया है। डेढ़ करोड़ आबादी वाले इस देश में मार्च 2020 में कठोर लॉकडाउन लगाया गया तथा बीच-बीच में इसमें छूट दी गई। लॉकडाउन की वजह से लड़कियों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। उन्हें गर्भ निरोधक गोलियों तथा हॉस्पिटल की सुविधा नहीं दी गई। 

वही कार्यकर्ताओं एवं अफसरों का कहना है कि कई लड़कियां यौन शोषण का शिकार हुईं या उन्होंने शादी एवं गर्भावस्था को निर्धनता से बाहर निकलने का एक तरीका मान लिया। देश में कम आयु की लड़कियों की बढ़ते गर्भधारण को देखते हुए जिम्बाब्वे की सरकार ने अगस्त 2020 में अपने कानून में परिवर्तन कर गर्भवती छात्राओं को भी विद्यालय आने की मंजूरी दे दी। कार्यकर्ताओं एवं अफसरों ने इस कदम की प्रशंसा की तथा इसे एक उम्मीद के रूप में देखा। मगर ये नई नीति पूर्ण रूप से नाकाम रही है। गर्भवती लड़कियां कानून में परिवर्तन के बावजूद भी स्कूल में वापस नहीं आ रहीं हैं। रुपयों की कमी, सामाजिक प्रथाएं, क्लास में परेशान किए जाने जैसे कई वजहों से लड़कियां दोबारा विद्यालय नहीं जा पा रहीं हैं। वही कोरोना महामारी का प्रभाव यहां बहुत अधिक देखा गया जिसका ज्यादा आँकड़े में शिकार लड़किया हो रही है।

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