मां के त्याग और समर्पण की दास्ताँ है फिल्म 'मदर इंडिया'

भारतीय सिनेमा की अब तक सबसे सुपरहिट फिल्म 'मदर इंडिया' है. यह फिल्म अपने बच्चों के लिए एक मां के त्याग और सपर्मण की वो दास्ताँ है. यह फिल्म साल 1957 में भारतीय सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी. हालाँकि उस वक़्त देश में इतने सिनेमा घर नहीं थे पर यह आज़ादी के तौर की सबसे ही फिल्म साबित हुई थी. इस फिल्म में मां के मजबूत किरदार में अभिनेत्री नर्गिस नज़र आई थीं. उनके अलावा सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार और राज कुमार मुख्य भूमिका में थे. इस फिल्म को महबूब ख़ान द्वारा लिखा और निर्देशित किया गया था. 

फिल्म की कहानी के बारे में बात करें तो यह गरीबी से पीड़ित गाँव में रहने वाली औरत राधा की कहानी है जो कई मुश्किलों का सामना करते हुए अपने बच्चों का पालन पोषण करने और बुरे जागीरदार से बचने की मेहनत करती है. उसकी मेहनत और लगन के बावजूद वह एक देवी-स्वरूप उदाहरण पेश करती है व भारतीय नारी की परिभाषा स्थापित करती है और फिर भी अंत में भले के लिए अपने गुण्डे बेटे को स्वयं मार देती है. वह आज़ादी के बाद के भारत को सबके सामने रखती है.

यह फ़िल्म अबतक बनी सबसे बड़ी बॉक्स ऑफिस हिट भारतीय फ़िल्मों में गिनी जाती है और अब तक की भारत की सबसे बढ़िया फ़िल्म गिनी जाती है. इसे 1958 में तीसरी सर्वश्रेष्ठ फीचर फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से नवाज़ा गया था. मदर इंडियन हिंदी सिनेमा की उन ब्लॉकबस्टर फिल्मों में शामिल है जिन्होंने लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है. जिनमें क़िस्मत (1943), मुग़ल-ए-आज़म (1960), शोले(1964) शामिल हैं. फिल्म 'मदर इंडिया' भारत की ओर से पहली बार अकादमी पुरस्कारों के लिए भेजी गई फ़िल्म थी.

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