स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा ले चुके थे महाराष्ट्र के प्रथम CM यशवंतराव चव्हाण

यशवन्तराव बलवन्तराव चव्हाण मुंबई राज्य के बंटवारे के बाद महाराष्ट्र के पहले सीएम और भारत के पाँचवें उप-प्रधानमन्त्री थे। वे एक सशक्त कांग्रेस नेता, स्वतन्त्रता सेनानी, सहकारी नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे। उन्हें आम जनता के नेता के रूप में जाना जाता था। उन्होंने अपने भाषणों और लेखों में दृढ़ता से समाजवादी लोकतन्त्र की वकालत की और महाराष्ट्र में किसानों की बेहतरी के लिए सहकारी समितियों को स्थापित करने में अहम भूमिका अदा की थी।

यशवन्तराव चव्हाण भारतीय स्वतन्त्रता संघर्ष में एक सक्रिय भागीदार रहे थे। 1930 में महात्मा गांधी की अगुवाई में चलाये जाने वाले असहयोग आन्दोलन में हिस्सा लेने के लिए उन पर जुर्माना ठोंक दिया गया। 26 जनवरी 1932 को सतारा में भारतीय ध्वज फहराने के लिए उन्हें 18 महीने के जेल की सजा सुनाई गयी। वे 1942 के ए॰आई॰सी॰सी के ऐतिहासिक मुम्बई अधिवेशन के प्रतिनिधियों में भी शामिल थे, जहाँ भारत छोड़ो का नारा बुलन्द किया गया और इस भागीदारी के परिणामस्वरूप उन्हें अरेस्ट कर लिया गया था। यशवन्तराव को अन्ततः 1944 में जेल से छोड़ दिया गया।

1957 में यशवन्तराव चव्हाण कराड निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। इस बार वे कांग्रेस विधाई पार्टी के नेता के रूप में निर्वाचित हुए थे और द्विभाषी बम्बई राज्य के सीएम बने। 1957 से 1960 तक उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य के तौर पर चुना गया। संयुक्त महाराष्ट्र आन्दोलन के लिए अपने समर्थन के जरिए वे महाराष्ट्र राज्य के रचयिताओं में से एक थे। 1 मई 1960 को यशवन्तराव चौहान महाराष्ट्र के पहले सीएम बने। 25 नवम्बर 1984 को दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से यशवंतराव चौहान का देहांत हो गया।  

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