हर साल नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए, किए जाते है कई काम

आज विश्व नदी दिवस है। हर वर्ष सितंबर के अंतिम रविवार को इसे मनाने का रिवाज़ है। हिन्दुस्तान सहित विश्व के अनेक इलाकों में पूरी श्रद्धा के साथ विश्व नदी दिवस मनाया जाता है और एक कसम ली जाती है कि नदियों को प्रदूषित नहीं करेंगे और ना करने देंगे। लेकिन प्रश्न कि क्या वाकई ये कसम पूरी की जाती है?  नदियों की रक्षा को लेकर 2005 में इसे मनाने का आरम्भ किया गया था। ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, भारत, पोलैंड, दक्षिण अफ्रिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और बांग्लादेश में नदियों की रक्षा को लेकर कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

बीते कई दशक से नदियाँ साफ़ होने की अलावा और भी ज्यादा प्रदूषित होती जा रही है। हिन्दुस्तान में तो कई नदियों की स्थिति बहुत ही खराब है। कई लहलहाती नदी अब नालों का चेहरा ले चुकी हैं। यमुना नदी जिसका उदाहरण है। नदियों की खूबसूरती बरकरार रखने के लिए 1987 में पहली राष्ट्रीय जल नीति बनाई गई। जिनमे कई तरह के परिवर्तन भी किए गये। लेकिन आज तक उसका नतीजा कुछ ख़ास नहीं मिला। यमुना की सफाई के लिए जर्मनी और जापान की सहायता ली गई। लेकिन फिर भी वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति हो जाती है।

वहीं, गंगा की सफाई के लिए पीएम की सरकार कोशिश तो कर रही है। लेकिन उसका प्रभाव अभी तक दिखाई नहीं दी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बोला था कि गंगा की सफाई के लिए 18,000 करोड़ रुपए की लागत से 7 राज्यों में 115 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा था। जिसके साथ नदी किनारों के विकास तथा गंगा पर राष्ट्रीय जलमार्ग -1 के विकास के जरिये कार्गो परिवहन को प्रोत्साहन की योजनाओं पर भी काम किया गया। उन्होंने दावा किया है कि अगले 6 महीने में गंगा की स्थिति बेहतर दिखाई दिए।

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